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भाजपा क्यों चाहती है राज्यसभा सांसद भी लड़ें लोकसभा 2024


भाजपा ने लोकसभा 2024 के लिए अपनी कमर कस ली है। चुनाव की रणनीति, प्रचार-प्रसार और कार्यकर्ताओं को उनके निर्धारित इलाकों में काम करने के लिए उतार चुकी है। हर चुनाव को सीरियसली लेने वाली भाजपा अपनी रणनीति को पुख्ता करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। भाजपा पार्टी अहम सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर लेना चाहती है। जिससे उम्मीदवार को जनता से संपर्क के लिए पर्याप्त समय मिल सके। तेलंगाना, ओडिशा, आंध्र, तमिलनाडु और बंगाल जैसे राज्यों में भाजपा सबसे पहले कैंडिडेट घोषित करना चाहती है, जहां पार्टी की स्थिति उत्तर और पश्चिम भारत के मुकाबले थोड़ी कमजोर है। ऐसे में भाजपा चाहती है कि उम्मीदवारों के सेलेक्शन पर काम शुरू कर दिया जाय। पिछले सप्ताह पार्टी ने इस विषय पर दो दिनों की मीटिंग भी थी, जिसमें पीएम मोदी खुद भी शामिल हुए थे।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व चुनाव में राज्यसभा सेआने वाले मंत्रियों को भी उतारनेपर विचार कर रही है। इन नेताओं में
एस. जयशंकर, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, अश्विनी वैष्णव, भूपेंद्र यादव जैसे दिग्गज शामिल हैं, जो सरकार का हिस्सा हैं,
लेकिन राज्यसभा से आते हैं। पार्टी को लगता है कि इन नेताओं को उतारने से माहौल बनेगा और कुछ सीटों पर जीत तय हो सकती है। इसके अलावा चुनाव के बाद कई अन्य नेताओं को संगठन से सदन में लाया जा सकेगा। इसी फार्मूले को 5 राज्यों के चुनाव में आजमाया जा चुका है। यहां भाजपा ने राजस्थान सेलेकर छत्तीसगढ़ तक कई सांसदों और मंत्रियों को भी चुनाव में उतार दिया था।


तीनों ही राज्यों में भाजपा ने जो अपनी शानदार जीत दर्ज कराई हैऔर कई दिग्गज नेता अब राज्य सरकार का हिस्सा हैं। सूत्रों के मुताबिक, चुनाव की तारीखों का ऐलान फरवरी के अंत तक या फिर मार्च में हो सकता है। इसलिए भाजपा जनवरी के अंत तक बड़ी संख्या में उम्मीदवार तय कर लेना चाहती है। पार्टी ने चुनाव में 2019 की तुलना में वोट शेयर को 10 फीसदी तक बढ़ाने की बात कही है। मीटिंग में पीएम नरेंद्र मोदी ने यह टारगेट दिया। वहीं अमित शाह ने कहा कि हमारी परफॉर्मेंस ऐसी होनी चाहिए कि विपक्ष एक बार फिर से चौंक जाए।

पिछले चुनावों पर नजर डालें तो, 2019 के आम चुनाव में भाजपा 37 फीसदी लाई थी और एनडीए के खाते में 45 पर्सेंट वोट गए थे। अब भाजपा इसे अकेले ही 50 फीसदी के करीब ले जाना चाहती है। भाजपा का मानना है कि यदि तेलंगाना, ओडिशा, आंध्र और बंगाल जैसे राज्यों मेंअपने प्रदर्शन को पहले के मुकाबले सुधारती है तो आंकड़ा बेहतर होगा। भाजपा ने फिलहाल सीटों का आंकड़ा तय नहीं किया है कि वह कितने पर जीत चाहती है, लेकिन यह जरूर तैयारी की हैकि आंकड़ा 2019 सेभी बेहतर रहे। तब भाजपा नेअकेले 303 सीटें हासिल की थीं।


एस. जयशंकर को लेकर इन सीटों की है खबरों पर सियासी माहौल गर्म है। निर्मला सीतारमण को तमिलनाडु की किसी सीट से उतारा जा सकता है। वहीं एस. जयशंकर को लेकर तो तीन सीटें भी चर्चा में हैं। कहा जा रहा है कि उन्हें तीन सीटों बेंगलुरु ग्रामीण, विशाखापत्तनम ग्रामीण और तिरुअनंतपुरम में से किसी एक से उतारा जा सकता है।


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