Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र में कांग्रेस से नाखुश चल रहे सीनियर लीडर संजय निरुपम कल अपने पॉलिटिकल भविष्य को लेकर फैसला कर सकते हैं। ऐसा उन्होंने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा है कि कल वह यह फैसला लेंगे कि कांग्रेस में बने रहेंगे या फिर नहीं।
कांग्रेस ने बनाई संजय निरुपम से दूरी
संजय निरुपम का यह बयान तब आया है जब कांग्रेस ने महाराष्ट्र में स्टार प्रचारकों की लिस्ट से उनका नाम हटा दिया था। कांग्रेस पार्टी यहां इंडिया गठबंधन के तहत उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के साथ चुनाव लड़ रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रेसिडेंट नाना पटोले का कहना है कि संजय निरुपम ने जो भी पार्टी के खिलाफ बयान दिए थे, उसके कारण उनके ऊपर एक्शन लिया गया है। इससे पहले उनका नाम स्टार कैंपेनर की लिस्ट में शामिल था। लेकिन अब वह कैंसिल कर दिया गया है।
4 मार्च को भविष्य पर फैसला लेंगे निरुपम
अब संजय ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कांग्रेस पार्टी को उनके ऊपर इतनी ऊर्जा खर्च नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय पार्टी को बचाना चाहिए। यह पार्टी गंभीर वित्तीय संकट से भी गुजर रही है। मैं कल अपने बारे में फैसला लूंगा।
संजय निरुपम मुंबई की नॉर्थ वेस्ट सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन यह सीट शिवसेना यूबीटी के कैंडिडेट अमोल कीर्तीकर के पास चली गई। जब कीर्तीकर का नाम सामने आया तो संजय निरुपम ने कांग्रेस को आगाह किया था कि उद्धव ठाकरे खेमे की शिवसेना जो कदम उठा रही है वह विनाशकारी है और कांग्रेस को इस गठबंधन से दूर रहना चाहिए।
शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन का किया था विरोध
उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस को खुद को बचाना है तो कांग्रेस की लीडरशिप को हस्तक्षेप करना चाहिए। शिवसेना के साथ गठबंधन अपने आप में विनाशकारी है और इसका असर महाराष्ट्र के अलावा बाकी जगह भी दिखाई देगा। संजय निरुपम ने तब अपने भविष्य के बारे में बात करते हुए कहा था कि उनके सामने सभी विकल्प खुले हुए हैं। वह एक सप्ताह तक विचार करेंगे और उसके बाद अपना फैसला लेंगे। संजय निरुपम ने मुंबई नॉर्थ की लोकसभा सीट से 2019 में चुनाव लड़ा था। उनका कहना है कि शिवसेना के कैंडिडेट जिस तरीके से मुंबई में उतारे जा रहे हैं, इसका मतलब कांग्रेस को किनारे करना ही है।
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस बेहद अहम
बता दें उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 48 लोकसभा सीट हैं। यहां 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गैर विभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन किया था जहां बीजेपी ने 25 में से 23 सीट जीती थी और शिवसेना के खाते में 23 में से 18 सीट आई थी। जबकि गैर विभाजित नेशनल कांफ्रेंस पार्टी यानी एनसीपी ने विपक्षी गठबंधन के तहत यहां 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और चार में जीत हासिल की थी।