उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिन्होंने अयोध्या की रुपरेखा ही बदलकर रख दी है। अयोध्या जो सिर्फ बाबरी मस्जिद के साथ जुबां पर आता था और कोर्ट में सिर्फ तारीख पर तारीख पड़ती थी। लेकिन, फैसला नहीं आता था। भाजपा अपने हर मेनीफेस्टो में लिखती थी। जिसपर हर नेता कहता था कि भाजपा वाले तिथी नहीं बताऐंगें, मंदिर वहीं बनायेंगें। योगी आदित्यनाथ ने इसे का साकार कर दिखा दिया। अब पूरे विश्व को अयोध्या में रामलला के विराजमान होने की तारीख पता चल चुकी है। मोदी योगी डबल इंजन की सरकार एक एक कर अपने सभी वादे पूरे कर रही है।
अयोध्या, सूर्यवंशी श्रीराम की नगरी, दशरथ की नगरी जहां सूर्य प्रबल उगता है और प्रबल ही रहता है। इसी अयोध्या के श्रीराम जिन्होनें पिता के वचन के लिए सिंहासन त्याग दिया और वनवास चले गए। इसी अयोध्या नगरी में भरत और लक्ष्मण समान भाई भी उदय हुए जिन्होंने बड़े भाई की अनुपस्थिति में राज्य की सुरक्षा की और सत्ता के लोभ को दरकिनार रखा। ऐसे ही प्रबल सूर्य के समान उत्तर प्रदेश में उगे योगी आदित्यनाथ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिन्होंने संयास लेने के बावजूद राजनीति का मार्ग चुना जनता को राजनीति के दलदल से निकालने के लिए। सत्ता के लोभ से कोषों दूर “योगी” केवल नाम के नहीं बल्कि वास्तव में भी “योगी” हैं। आज उसी योगी ने केंद्र में सरकार चला रहे मोदी जी के नेतृत्व में राम लला को टेंट से निकालकर एक भव्य महल में विराजित करवाने जा रहे हैं। यह कार्य इतना सरल नहीं था, जितना दिखता है। काटों की राह पर चलकर और काटों का ताज पहनकर योगी सरकार ने जो कारनामा कर दिखाया है, वह सामान्य नेता के बस की बात नहीं थी। दिल में ज़ज्बा नहीं होता तो यह अविश्वसनीय कार्य सदा असंभव ही बना रह जाता। 2017 में जब पहली बार योगी ने उत्तर प्रदेश का कांटों भरा ताज पहना था तब लोगों को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि योगी बाबा ऐसा भी कुछ कर दिखायेंगे जिसकी कल्पना भी उन्होंने नहीं की होगी।
साल 2017, मुख्यमंत्री योगी ने पद संभालते ही ऐक्शन शुरु कर दिया और देखते ही देखते दुर्व्यवस्था सुव्यवस्था में परिवर्तित होती चली गई। इसी सिलसिले के तहत उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बनता चला गया और आज विश्व में भारत ने अपनी ही एक अलग पहचान बना चुका है। 2023 के साल का आखिरी महीना चल रहा है और जनवरी 2024 का साल सामने दस्तक दे रहा है। यह वह ऐतिहासिक और स्वर्णिम वर्ष होने जा रहा है जो इतिहास में अपनी विजय गाथा लिखने को आतुर है। 22 जनवरी 2024 का वह शुभ दिन जो करोड़ों हिन्दुओं के आस्था पर मुहर लगा देगा। अर्थात् रामलला अपने भवन में विराजमान हो जाएगें।
जैसे जैसे गर्भ गृह से तस्वीरें सामने आ रही हैं राम भक्तों की धड़कनें तेंज हो रही हैं और इंतजार की घड़ी कठिन होती जा रही है। इसके इतर प्रशासन के लिए उतनी ही मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मुख्यमंत्री योगी की सख़्त हिदायतों और निर्देशों के मध्य, योजना और आयोजन में कोई कमी नहीं रह जाए, इस बात का प्रशासन पूरी तरह ध्यान रख रहा है। इसी समय माघ मेला की तैयरियां भी योगी बाबा के नेतृत्व में चल रही हैं। माघ मेला और उसके खत्म होते ही रामलला का वैश्विक आयोजन होगा। जिसपर पूरे विश्व की निगाहें टिकी हैं। जो 400 करोड़ रुपये से बढ़कर 1800 करोड़ और 2000 करोड़ तक बजट पहुंच चुका है। जिसमें एटा जिले से रामलला के दरबार में अष्टधातु का 21 किलो का घंटा लगेगा। ऐसा माना जा रहा है कि मंदिरों में लगे घंटों में यह देश का सबसे बड़ा घंटा होगा। जिसके निर्माण में 25 लाख रुपए की लागत आई तो वहीं 400 कर्मचारी इस घंटे को बनाने में जुटे रहे। इसी तरह फर्श से लेकर कंगूरे तक हर चीज़ पर ऐतियात बरता गया। सूक्ष्म से सूक्ष्म बारीकियों का मंदिर निर्माण में ध्यान रखा गया।
रामलला को टेंट से भवन में लाने की कहानी मात्र कहानी नहीं है। यह इस धरती पर लड़ी जाने वाली देवासुर संग्राम से कम नहीं है। राजनीतिक पार्टियों ने जहां हजारों अड़चनें पैदा की, लाखों ऐसी परिस्थितियां पैदी की गईं कि रामलला आजीवन टेंट में ही रह जायें। राम के अस्तित्व पर ही लोगों ने सवाल खड़े कर दिए। पर, इस धरती पर भगवान श्रीराम ने अपनी लड़ाई कोर्ट में जाकर लड़ी। अपने उन भक्तों और आस्थावान लोगों के सहारे जिन्होनें अपना जीवन ही रामलला के लिए समर्पित कर रखा था। साल 1984 जब राम लला के गर्भ गृह का ताला राजीव गांधी ने खुलवाकर बवाल मचावा दिया था। पर भाजपा के मोदी, योगी जैसे कर्मठ पुरुषों और आस्थावान लोगों ने नीति तर्क और सब्र की डोर को नहीं छोड़ा। अपने रामलला के लिए हिमालय की तरह अडिग रहे। जिसे पार करना सबके लिए संभव नहीं था। इसीलिए, हर राजनीतिक पार्टी और उनके नेतागण तमाम कोशिशों के बावजूद भी योगी मोदी को हिला नहीं सके। अंतत: रामलला की स्थापना होने जा रही है। जिसका सपना करोड़ों हिन्दू सालों से देख रहे थे। पर, शायद ही किसी को यकीन रहा होगा कि उन सबके जीते जी यह संभव हो पायेगा।
जब मोदी जी ने धारा 370 हटाने का ऐलान किया तो तत्कालीन विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट करके लिखा कि शायद मैं इसी दिन को देखने के लिए जीवित थी। उसके कुछ दिन पश्चात ही उन्होंने इस धरती से विदा भी ले लिया। इसी तरह रामलला को स्थापित करना गौरव, गर्व और गौरवांवित करने वाली बात है। योगी सरकार ने इन सात सालों में अपना अदम्य साहस और पौरुष को जगज़ाहिर कर दिया। ये दिखा दिया कि एक संत जब अकेले ध्यान लगाकर दुनिया से विलग हो सकता है तो यह भी दिखा दिया कि समाज और दुनिया में रहकर सत्ता और पद लोलुपता से भी अलग रहकर समाज और अपने भगवान के लिए किस हद तक जा सकता है। यही वो रामलला हैं जिनकी आरती करने तक के लिए कोर्ट से इज़ाजत लेनी पड़ती थी। इतने कांटों से रामलला को निकालकर उनके स्थान पर विराजमान कराना योगी सरकार ही करवा सकती थी। जो करके उन्होंने दिखा दिया।
योगी उस 21वीं सदी के संत हैं जिन्होंने जनता को अपना माना और उनके लिए सर्वस्व न्यौछावर भी कर दिया। संत का यह स्वभाव ही होता है जो योगी में साक्षात दिखता है। परोपकार की नीति ही इनकी परम नीति है। आज योगी सरकार ने विश्व में अयोध्या को पुन: स्थापित कर दिया है। आर्कीटेक्ट से लेकर लोगों के भाव देश ही नहीं वरन विदेशों से भी अयोध्या तक पहुंच रहे हैं। राम नाम के सूत कोने कोने से पहुंच रहे हैं। ऐसा कह सकते हैं कि भारत से अयोध्या को नहीं बल्कि अब अयोध्या के नाम से भारत अपना परिचय आने वाले समय में देगा तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई गणमान्य लोग मौजूद होंगे। अयोध्या में इन दिनों प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोरों पर है। अयोध्या के चौराहे और गलियों को सजाया जा रहा है। अयोध्या का स्वरूप पूरी तरह से बदला जा रहा है, तो वहीं अयोध्या से चंद किलोमीटर की दूरी पर एक गांव में श्री योगी मंदिर बनाया गया है।
इस मंदिर की खास बात यह है कि जिस प्रकार से सभी मंदिरों में भगवान की पूजा होती है, आरती होती है, भोगराग होता है, ठीक उसी प्रकार से योगी मंदिर में भी सीएम योगी की आरती की जाती है, पूजा पाठ किया जाता है, भोग लगाया जाता है और योगी चालीसा भी होती जाती है। अयोध्या में आने वाले राम भक्त रामलला का दर्शन करने के बाद योगी मंदिर का भी दर्शन करना चाहते हैं।
अयोध्या में राम मंदिर की डिजाइन बनाने वाले आर्किटेक्ट चंद्रकात सोमपुरा गुजरात के अहमदाबाद में रहते हैं। सोमपुरा ने बताया कि उन्होंने आज तक जितने भी मंदिरों के डिजाइन बनाए हैं उनमें से यह सबसे अच्छा है। उन्होंने कहा कि उनके बनाए गए हर मंदिर के डिजाइन बहुत अच्छे हैं लेकिन राम मंदिर का डिजाइन बहुत खास है। मंदिर की सुरक्षा के चलते सोमपुरा को कोई उपकरण ले जाने को नहीं मिले थे, न ही जन्मभूमि के पास जाने को मिला था। उन्होंने दूर से ही अपने कदमों से माप ली थी। चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम जन्मभूमि में बनाए जा रहे मंदिर की डिजाइन उनसे बनवाई है। भूमि पूजन के दिन वह बहुत खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के चलते वह अयोध्या नहीं जा पाए लेकिन उनका बेटा आशीष सोमपुरा शिलान्यास के दौरान अयोध्या में मौजूद था।
चंद्रकांत ने कहा, ‘1989 में सख्त सुरक्षा के चलते किसी को भी जन्मभूमि में जाने की इजाजत नहीं थी। मंदिर का डिजाइन तैयार करने के लिए मैंने आयामों को अपने कदमों से मापा। उन्होंने मंदिर की ऊंचाई का जो प्रस्ताव बनाया था, वह अब दोगुनी है।’