लाल सागर में बने तनाव के बीच अमेरिका और ईरान में ठन गई है। पिछले दिनों जॉर्डन में ईरान समर्थित समूह के ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों की जान चली गई थी। जिसका बदला अमेरिका ने ले लिया है।
अपने सैनिकों पर हुए हमले से गुस्साए अमेरिका ने ताबड़तोड़ बमबारी शुरू कर दी है। अमेरिका ने इराक और सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया और ईरानी ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड’ के दर्जनों ठिकानों पर हमले किए हैं। इराक में ईरान समर्थित कताइब हिज्बुल्लाह के एक सीनियर कमांडर को भी ढेर कर दिया गया है। चार साल पहले जिस तरह से बगदाद एयरपोर्ट के पास ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को मारा गया था, ठीक उसी तरह अमेरिका ने ड्रोन हमले में अपने दुश्मन को उड़ा दिया है।
2003 में इराक पर अमेरिकी अटैक के बाद कताइब हिज्बुल्लाह का जन्म हुआ था। अमेरिका को पता चला कि यही आतंकी गुट उसके सैनिकों की हत्या के लिए जिम्मेदार है। जिसके बाद बुधवार रात इराक के पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज यानी PMF द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ी पर जोरदार अटैक हुआ, जिसमें तीन लोग मारे गए। दरअसल, PMF यहां की एक सरकारी सुरक्षा एजेंसी है जिसमें दर्जनों सैन्य बल शामिल हैं और उनमें से कई ईरान के करीबी हैं।
फिलहाल इराक और सीरिया में हाल के दिनों में ईरान समर्थित सशस्त्र समूहों और क्षेत्र में तैनात अमेरिकी सैनिकों के बीच जैसे को तैसा स्टाइल में कई हमले हुए हैं। जनवरी में अमेरिका के एक ड्रोन हमले में मध्य बगदाद में एक बड़ा मिलिशिया कमांडर मारा गया था। वहीं इस बार बुधवार को बगदाद में इराकी स्पेशल फोर्सेज हाई अलर्ट पर थी। अमेरिकी दूतावास समेत अंतरराष्ट्रीय राजनयिक मिशनों वाले ग्रीन जोन में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। अमेरिका ने ईरान और उसके समर्थन वाले मिलिशिया और ईरानी ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड’ को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने पश्चिम एशिया में तैनात अमेरिकी बलों को निशाना बनाना जारी रखा तो जवाबी कार्रवाई जारी रहेगी। उधर, अमेरिका और ब्रिटेन की सेनाओं का यमन में हूती के कब्जे वाले क्षेत्रों पर हमला जारी है। ईरान के अंदर हमले की संभावना पर अमेरिका ने साफ कहा है कि हम बड़े पैमाने पर युद्ध नहीं चाहते हैं, फिलहाल अमेरिका जॉर्डन में हुए हमले का बदला ले रहा है।
अमेरिका ने लिया बदला
हाल ही में जॉर्डन में अमेरिकी सैन्य बेस टॉवर-22 पर आतंकी हमला किया गया था, जिसमें तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ईरान पर हमले का आऱोप लगाया था। अमेरिका ने ईराक और सीरिया में ईरान समर्थित आतंकी संगठनों पर जमकर बमबारी करके आतंकियों के 85 ठिकानों को नष्ट कर दिया। अमेरिका का कहना है कि कताइब हिजबुल्लाह मिलिशिया सीरिया में ईरान का ऑपरेशन देख रहा था उसने ही अमेरिकी सैनिकों को टारगेट किया था। दअरसल अमेरिका का दावा है कि उसके हमले में ईरानी मिलिशिया के कमांड और कंट्रोल सेंटर, खुफिया हेडक्वार्टर, और ड्रोन के अड्डे तबाह हो गए हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका ने बदला लेते हुए ये कार्रवाई की।
राष्ट्रपति बाइडेन ने घोषणा की थी और कहा था कि उन्होंने अपना टार्गेट पहले ही चुन लिया है, बाइडेन ने हालांकि हमलावरों को सजा देने के फैसले के बारे में विस्तार से नहीं बताया था, लेकिन कहा था कि वह व्यापक युद्ध से बचना चाहते हैं। साथ ही ये भी कहा गया था कि अमेरिका एक और युद्ध नहीं चाहता या तनाव को बढ़ाना नहीं चाहता, लेकिन अपनी रक्षा के लिए उसे जो भी करने की आवश्यकता होगी, वह सब करेगा। इसी बात को पूरा करते हुए, इराक में ईरान समर्थित कताइब हिज्बुल्लाह के एक सीनियर कमांडर को अमेरिका ने ढेर कर दिया जिसे अमेरिका का बदला लेना कहा जा रहा है।
अमेरिकी सेना ने कहा कि इराक में ईरान समर्थित सैन्य समूह कातिब हिजबुल्लाह का एक कमांडर हमले में मारा गया। सेना के एक बयान में कहा गया कि अमेरिकी बलों ने हमलों के जवाब में इराक में एकतरफा हमला किया, और बदला लिया। दरअसल जिस जॉर्डन में अमेरिकी सैनिकों को मारा गया उस जॉर्डन में अमेरिका के लगभग 4,000 सैनिक तैनात हैं। जॉर्डन की सीमा इराक, इस्राइल, फलस्तीन, सऊदी अरब और सीरिया के साथ लगती है। अमेरिकी सेना लंबे समय से जॉर्डन का इस्तेमाल बेस के रूप में कर रही है। इसी तरह सीरिया में अमेरिका के 900 सैनिक तैनात हैं। ये सैनिक सीरिया में सक्रिय आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट को तबाह करने के लिए कुर्द सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज के साथ काम कर रहे हैं। ईरान समर्थित समूह लंबे समय से अमेरिकी सैनिकों को इराक और सीरिया से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया गया।