अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अमेरिका में खालिस्तानी समर्थक अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की नाकाम साजिश में एक भारतीय अधिकारी की संलिप्तता के आरोपों की जांच की भारत सरकार की घोषणा को अच्छा और उचित बताया है।
विदेश मंत्रालय ( एमईए) ने बताया कि उसने आपराधिक सांठगांठ और पन्नुन की हत्या के प्रयास के संबंध में अमेरिका द्वारा साझा की गई सुरक्षा चिंताओं पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करने का निर्णय लिया है ।
इज़राइल के तेल अवीव में उनके साथ यात्रा कर रहे पत्रकारों से बात करते हुए ब्लिंकन ने कहा “सरकार ने आज घोषणा की कि वह एक जांच कर रही है और यह अच्छा और उचित है और हम परिणाम देखने के लिए उत्सुक हैं।”
राज्य सचिव बुधवार को मैनहट्टन अदालत में संघीय अमेरिकी अभियोजकों द्वारा दायर एक अभियोग में एक भारतीय नागरिक के साथ एक अनाम भारतीय अधिकारी की उपस्थिति पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे जिस पर न्याय विभाग का आरोप है कि उसने हत्या के लिए अमेरिका में किसी को काम पर रखा था। पन्नून भारत के मुखर आलोचक और अलग खालिस्तान के समर्थक थे।
ब्लिंकन ने कहा “यह एक चालू कानूनी मामला है। इसलिए आप समझेंगे कि मैं इस पर विस्तार से टिप्पणी नहीं कर सकता। मैं कह सकता हूं कि यह कुछ ऐसा है जिसे हम बहुत गंभीरता से लेते हैं। हम में से कई लोगों ने पिछले हफ्तों में इसे सीधे भारत सरकार के समक्ष उठाया है।
भारतीय ने पहले बताया था कि अमेरिका ने भारत-अमेरिका सुरक्षा सहयोग पर हालिया चर्चा के दौरान “संगठित अपराधियों, बंदूक चलाने वालों, आतंकवादियों और अन्य लोगों के बीच सांठगांठ” से संबंधित कुछ इनपुट साझा किए थे। यह घटनाक्रम ब्रिटेन स्थित दैनिक समाचार पत्र फाइनेंशियल टाइम्स की उस रिपोर्ट के कुछ ही सप्ताह बाद सामने आया है जिसमें कहा गया था कि अमेरिका ने अमेरिकी धरती पर कुख्यात खालिस्तानी अलगाववादी और प्रतिबंधित संगठन एसएफजे के नेता की हत्या के प्रयास को विफल कर दिया है ।
कौन है पन्नून ?
पन्नून सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के जनरल काउंसिल हैं जिसे भारत ने चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने का हवाला देते हुए 2019 में “गैरकानूनी संघ” करार दिया था। पन्नून को 2020 में भारत द्वारा “व्यक्तिगत आतंकवादी” के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
निज्जर की तरह पन्नून भारत से खालिस्तान नामक एक स्वतंत्र सिख मातृभूमि बनाने की दशकों पुरानी लेकिन अब सीमांत मांग के समर्थक हैं। नई दिल्ली इस प्रस्ताव को 1970 और 1980 के दशक में हुए हिंसक विद्रोह के कारण सुरक्षा जोखिम के रूप में देखती है।
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पन्नून के खिलाफ आतंकवाद और साजिश समेत अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है।इसमें कहा गया है कि उन्होंने वीडियो संदेशों में एयर इंडिया को दुनिया में कहीं भी काम नहीं करने देने की धमकी दी। यह मामला 1985 में कनाडा से भारत आ रहे एयर इंडिया के विमान पर हुए बम विस्फोट की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आता है जिसमें 329 लोग मारे गए थे और जिसके लिए सिख आतंकवादियों को दोषी ठहराया गया था।