भारत और ISRO के लिए आज बेहद खास दिन है। भारत ने अंतरिक्ष में एक और इतिहास रच दिया है। ISRO का Aditya सैटेलाइट L1 प्वाइंट के हैलो ऑर्बिट में इंसर्ट हो गया है। 2 सितंबर 2023 को शुरू हुई आदित्य की यात्रा अब खत्म हो चुकी है और 400 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ ये मिशन दुनियाभर के सैटेलाइट्स को सौर तूफानों से बचाएगा। इस ऐतिहासिक सफलता को लेकर भारत के वैज्ञानिकों को दुनियाभर से बधाइयां मिल रही हैं।
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा ‘’भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई है। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।‘’
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने लिखा ”इसरो द्वारा हासिल की गई एक और बड़ी उपलब्धि! भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य एल1 के हिस्से के रूप में, वेधशाला को अंतिम कक्षा में स्थापित किया गया है और लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर अपने गंतव्य पर पहुंच गया है। इस महान उपलब्धि के लिए पूरे भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को बधाई! यह मिशन सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाएगा और पूरी मानवता को लाभान्वित करेगा। इसरो मिशनों में महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भागीदारी महिला सशक्तिकरण को भी नई ऊंचाई पर ले जाती है।”
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा ‘’मून वॉक से लेकर सन डांस तक! भारत के लिए यह साल कितना शानदार रहा! पीएम के दूरदर्शी नेतृत्व में @नरेंद्र मोदी, टीम #ISRO द्वारा लिखी गई एक और सफलता की कहानी । #AdityaL1 सूर्य-पृथ्वी कनेक्शन के रहस्यों की खोज के लिए अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है।‘’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी एक्स पर लिखा “भारत अब गर्व से सूर्य की ओर देख रहा है! मैं भी अपने ISRO के समर्पित वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष इंजीनियरों द्वारा एक असाधारण उपलब्धि का जश्न मनाने में देश के साथ शामिल हूं. भारत की पहली सौर ऑब्जर्वेटरी #AdityaL1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई है. भारत ने सूर्य तक अपनी यात्रा 2006 में शुरू की, जब हमारे वैज्ञानिकों ने सूर्य के लिए एक ही उपकरण के साथ एक सौर ऑब्जर्वेटरी का प्रस्ताव रखा. जुलाई 2013 में, इसरो ने आदित्य-एल1 मिशन के लिए सात पेलोड का चयन किया. यह उपलब्धि हमारे संस्थापकों की दूरदर्शिता, प्रतिबद्धता और ईमानदार प्रयासों का प्रमाण है जिन्होंनेन्हों नेयह सुनिश्चित किया कि भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान राष्ट्र निर्माण और सामाजिक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाए.”