महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उप-समिति की बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं। मराठा आरक्षण और सुविधाओं के लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी की बैठक आज शाम होगी।
महाराष्ट्र में शिवबा संगठन के संस्थापक कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल के नेतृत्व में मराठा समुदाय द्वारा विरोध प्रदर्शन देखा जा रहा है जो ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
मराठा आरक्षण पर निर्णय लेने के लिए सरकार द्वारा 24 दिसंबर की समय सीमा निर्धारित करने के बाद जारांगे-पाटिल ने 3 नवंबर को दूसरे चरण में अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस ले ली। 25 अक्टूबर को जारांगे के अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने के बाद मराठा समुदाय के आंदोलन ने गति पकड़ ली। आंदोलन में हिंसा, आत्महत्याएं और आरक्षण के समर्थन में विधायकों के इस्तीफे देखे गए हैं।
महाराष्ट्र में कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कुनबी समुदाय ओबीसी श्रेणी में आरक्षण के लिए पात्र है। इससे पहले रविवार को कोटा कार्यकर्ता पाटिल ने मराठा आरक्षण पर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार को 24 दिसंबर के बाद का समय देने से इनकार कर दिया था। पाटिल ने कहा ”हम 24 दिसंबर 2023 के बाद एक घंटा भी नहीं देंगे तब तक मराठों को आरक्षण सुनिश्चित करें। अगले आंदोलन में 3 करोड़ से ज्यादा लोग होंगे। उन्होंने आगे कहा कि 23 दिसंबर को होने वाली बैठक में अगले विरोध आंदोलन की दिशा की घोषणा की जाएगी’’।
जारांगे ने बताया कि राज्य सरकार ने आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले मराठों के खिलाफ मामले वापस नहीं लिए हैं। इससे पहले शनिवार को ग्रामीण विकास मंत्री गिरीश महाजन और रोजगार गारंटी योजना मंत्री संदीपन भुमारे ने जारांगे से मुलाकात की और सरकार ने अब तक क्या किया है, इसकी जानकारी देकर समय सीमा बढ़ाने की मांग की।
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आनंद निर्गुडे ने इस महीने की शुरुआत में राज्य सरकार को अपने पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने मराठा कोटा को नजरअंदाज करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट न्यायाधीश सुनील शुक्रे को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया। जिन्होंने पिछले महीने जारांगे को अपनी भूख हड़ताल खत्म करने के लिए मनाने में मध्यस्थ की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।