अयोध्या में भगवान श्रीराम की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले तिरुवनंतपुरम में प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर गुरुवार को 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम मंदिर की प्रतिष्ठा के हिस्से के रूप में पारंपरिक औपचारिक धनुष ‘ओनाविल्लू’ उपहार में देगा।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की उत्पत्ति प्राचीनता में खो गई है। इस मंदिर का उल्लेख महाकाव्यों और पुराणों में मिलता है। श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि बलराम ने इस मंदिर का दौरा किया, पद्मतीर्थम में स्नान किया और कई प्रसाद चढ़ाए। 9वीं सदी के कवि और अलवर परंपरा के 12 वैष्णव संतों में से एक नम्मालवार ने भगवान पद्मनाभ की स्तुति में दस भजनों की रचना की है।
श्रद्धालुओं को गुरुवार सुबह से ‘ओनाविल्लू’ के दर्शन की अनुमति दी गई थी। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के पुजारी और शासी निकाय के सदस्य शाम 5:30 बजे आयोजित एक समारोह के दौरान श्री राम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रतिनिधियों को ‘ओनाविल्लू’ सौंपेंगे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल होंगे। 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में राम लला की मूर्ति विराजमान की जाएगी। इस बीच श्री राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बुधवार को कहा कि श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए ‘शुभ मुहूर्त’ या शुभ समय अयोध्या के मंदिर में लल्ला 22 जनवरी को दोपहर 12.30 बजे हैं। रामलला की काले पत्थर की मूर्ति, जिसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने उत्कृष्ट रूप से तैयार किया है उसको सिंहासन पर बैठाने के लिए चुना गया है।
अनुष्ठान मंगलवार को शुरू हुआ और सात दिनों तक जारी रहेगा। समारोह के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से हजारों वीआईपी मेहमानों को निमंत्रण मिला है। देशभर में 11,000 से अधिक मेहमानों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए ट्रस्ट से निमंत्रण मिला है, जिसमें सभी उपस्थित लोगों को यादगार उपहार प्रदान करने के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है। लक्ष्मीकांत दीक्षित के नेतृत्व में पुजारियों की एक टीम प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य अनुष्ठान करेगी।