Toe Ring Benefits: विवाहित स्त्री को पैरों में चांदी की बिछिया पहनने का रिवाज बहुत पुराना है। इसके धार्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी होते हैं। पैरों में बिछिया सुहाग की निशानियों में से एक मानी जाती है। विवाह के बाद मांग में सिंदूर, मंगलसूत्र, माथे की बिंदी, चूड़ियां और पांव में बिछिया पहन कर एक विवाहित महिला की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं। शादी के बाद पांव में चांदी की बिछिया पहनना जरूरी होता है। आईए जानते हैं कि महिलाएं बिछिया क्यों पहनती हैं और इसके क्या लाभ हैं?…
दूर होती है नकारात्मकता
सनातन धर्म में कहा गया है कि विवाहित महिलाओं को पांव की उंगलियों में बिछिया पहनना काफी लाभकारी होता है। बिछिया को सोलह श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है। ऐसा करने पर विवाहित जीवन में सुख और शांति आती है। हमेशा विवाहिताओं को पैर की दूसरी और तीसरी उंगली में बिछिया पहननी चाहिए। विवाहित महिलाओं द्वारा पहनी गई बिछिया एक तरफ जहां पति-पत्नी के दांपत्य जीवन को सुखमय करती है। वहीं इससे मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है। पांव में बिछिया पहनने से जीवन से नकारात्मकता कम होती है और पारिवारिक सुख बढ़ता है।
मां दुर्गा की पूजा के समय उन्हें बिछिया पहनाई जाती है। यह शुभ का प्रतीक मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि बिछिया चांदी की ही पहननी चाहिए। चांदी चंद्रमा का कारक माना गया है और इसे पहनने से शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है और ग्रहों की बाधा भी दूर होती है। इसे धारण करने से मन शांत रहता है और क्रोध हावी नहीं होता है।
ये है वैज्ञानिक महत्व
बिछिया पहनने का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही इसे पहनने से शारीरिक और मानसिक लाभ भी होते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि बिछिया पहनने से महिलाओं में थायराइड की आशंका कम होती है। चांदी ठंडी प्रकृति की होती है, इसलिए इसे धारण करने पर शरीर की गर्मी और ज्यादा तापमान से छुटकारा मिलता है। चूंकि पैरों की तीन उंगलियों की नस जिसमें बिछिया पहनी जाती है, वह महिलाओं के गर्भाशय और दिल से जुड़ी होती हैं, इसलिए इन उंगलियों में बिछिया पहनने से प्रजनन क्षमता बढ़ती है और गर्भधारण करने में दिक्कत नहीं आती है। बिछिया एक एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट की तरह भी काम करती है जिससे मांसपेशियों की हेल्थ दुरुस्त रहती है।