Supreme Court: उत्तराखंड इन दिनों जंगल में आग लगने की घटनाओं से जूझ रहा है। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जंगलों में आग लगी हुई है जिससे वन संपदा को काफी नुकसान हुआ है। कई वन्य जीवों को अपनी जान गंवानी पड़ी है व कई लोगों को भी इस वनाग्नि में अपनी जान गंवानी पड़ी। आज आग से संबंधित एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई की।
बारिश के भरोसे नहीं बैठ सकते
कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि हम आग को बुझाने के लिए बारिश या कृत्रिम बारिश के भरोसे नहीं बैठ सकते हैं। इसकी रोकथाम के उपाय करें। वहीं राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आग से जंगल का केवल 0.1% क्षेत्र प्रभावित है। उत्तराखंड सरकार ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच को बताया कि नवंबर 2023 से अब तक जंगलों में आग लगने की 398 घटनाएं हो चुकी हैं। हर बार ये आग इंसानों द्वारा लगाई गई। 350 से अधिक पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 62 लोगों को नामजद किया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार जिस तरह से ब्योरा दे रही है, हालात उससे कहीं ज्यादा गंभीर है।
सोशल मीडिया पर आ रही भयावह तस्वीरें
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि आपने देखा होगा कि मीडिया में जंगलों में आग की भयावह तस्वीरें आ रही हैं। राज्य सरकार क्या कर रही है? जंगलों में लगी आग को लेकर जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि हम बारिश और कृत्रिम बारिश के भरोसे नहीं बैठ सकते हैं। सरकार को जल्द से जल्द इन घटनाओं से निपटना होगा।
उत्तराखंड सरकार की तरफ से कहा गया कि आग का सीजन 2 महीनों का होता है। हर चार साल में जंगल की आग का भीषण दौर आता है। अब कोर्ट में इस मामले को लेकर 15 मई को अगली सुनाई होगी।