Rahul Gandhi Speech Controversy: लोकसभा में 1 जुलाई को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा था। मगर उनके भाषण के कई हिस्सों को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है। सदन के स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें सदन संचालन के नियम 380 का हवाला दिया था। विपक्ष ने इसी बात को लेकर ओम बिरला के प्रति नाराजगी जाहिर की है।
राहुल समते कांग्रेस का कहना है कि उनके भाषण के जिन हिस्सों को हटाया गया है, उसमें किसी भी तरह की असंसदीय बात नहीं बात या शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। ऐसे में विपक्षी दल, जो हिस्से हटाए गए हैं उन्हें फिर से रिकॉर्ड में लेने की मांग कर रही है।
क्या है नियम 380 (Rahul Gandhi Speech Controversy)
लोकसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के नियम 380 (निष्कासन) में कहा गया है कि अगर स्पीकर की राय है कि वाद-विवाद में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जो अपमानजनक या अशिष्ट या असंसदीय या अशोभनीय हैं, तो अध्यक्ष अपने विवेक का उपयोग करते हुए आदेश दे सकते हैं। ऐसे में शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाता है। ऐसा नहीं है कि बोलने की आजादी के साथ सांसद कुछ भी कह सकने के लिए आजाद हैं।
Leader of Opposition in Lok Sabha Rahul Gandhi speaks to motion of thanks on President’s address.#Parliament #PrliamentSession @ombirlakota@LokSabhaSectt
— SansadTV (@sansad_tv) July 1, 2024
Watch Live : https://t.co/QLP8pqJZiQ pic.twitter.com/AqGZMasrNA
यह भी पढ़ें- लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम मोदी ने दिया जवाब
कोई भी शब्द या टर्म ऐसा न हो जो संसद की गरिमा को भंग करता हो। यही हवाला देते हुए सदन की कार्यवाही के दौरान कई बार सांसदों के भाषणों से कुछ शब्द, वाक्य या बड़े हिस्से भी हटाए जाते रहे। इस प्रोसेस को एक्सपंक्शन कहते हैं। लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 380 के तहत ऐसा किया जाता रहा।
किसके पास है शब्दों को हटाने का अधिकार
सांसद के बयान के कुछ हिस्सों या शब्दों को हटाने की जिम्मेदारी लोकसभा स्पीकर की है। इसके अलावा जो पार्टी सत्ता में है अगर वो इस पर आपत्ति जताए तो और अध्यक्ष का ध्यान उस ओर करे तो भी ये एक्शन लिया जा सकता है। अगर कोई सदस्य ऐसा शब्द बोले, जो किसी को परेशान करे, या सदन की मर्यादा को तोड़ता हो, तो रिपोर्टिंग सेक्शन उसे पीठासीन अधिकारी या स्पीकर को भेजता है। साथ में पूरा संदर्भ रखते हुए उस शब्द को हटाने का आग्रह रहता है।
BJP MP @ianuragthakur congratulated Rahul Gandhi for being appointed the Leader of the Opposition. #Parliament #parliamentsession #T20cricketworldcup@LokSabhaSectt @ombirlakota @ianuragthakur
— SansadTV (@sansad_tv) July 1, 2024
Watch Live : https://t.co/Iv2JKXEj13 pic.twitter.com/r0yWsPhmwu
‘अनपार्लियामेंट्री एक्सप्रेशन्स’ में है जिक्र
लोकसभा सचिवालय ने इसे लेकर एक बुकलेट निकाली, जिसका नाम ‘अनपार्लियामेंट्री एक्सप्रेशन्स’ है। इसे पहली बार साल 1999 में छापा गया था। इसमें पुरानी बहसों को संदर्भ के तौर पर लिया गया है। ये एक तरह की नियमावली है, जो हर सांसद को पता होनी चाहिए। असंसदीय शब्दों की लिस्ट दो हिस्सों में बंटी हुई है। पहले पार्ट में अंग्रेजी के शब्द हैं, जबकि दूसरे में हिंदी। बाकी भाषाओं के शब्दों-एक्सप्रेशन का जिक्र भी अंग्रेजी में है।
यह भी पढ़ें- लोकसभा में सांसद कल्याण बनर्जी की एक्टिंग देख हंस पड़े सभी लोग, देखें वीडियो
हिंदी के ऐसे शब्द
जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर, शर्मनाक, धोखा, चमचागिरी, स्नूपगेट, तानाशाह, शकुनी, अनपढ़, अनर्गल, अहंकार, औकात जैसे कई शब्द हैं, जो लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही जगहों पर बहस में नहीं बोले जा सकते। नाटकबाजी, झूठा, धोखा, उचक्का, नस्लभेदी जैसे वर्ड्स भी इसी श्रेणी में हैं।
अंग्रेजी के ऐसे शब्द
यू हैव डबल स्टैंडर्ड्स, यू हैव टू बी फेयर, डोन्ट ट्राय टू गैग माय माउथ, बीटन विद शूज, ब्लडशेड, ब्लडी, ब्लडी ओथ, करप्ट, क्रुअल, डिसीव्ड, डॉग, ड्रामा, मिसलीड. ये सारे शब्द अल्फाबेट में अरेंज किए हुए हैं, मतलब ए से लेकर जेड तक। साथ ही शब्द के बगल में ये भी लिखा हुआ है कि वो कब और कहां, किस दौरान बोला गया था। विदेशी संसदों में बोले गए शब्द भी इसका हिस्सा हैं।