Lateral Entry Controversy: केंद्र सरकार ने आज यानी मंगलवार को एक अहम फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। ये फैसला तब लिया गया है, जब पहले से ही UPSC में लेटरल एंट्री को लेकर बहस छिड़ी हुई है।
इस मामले में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र भी लिखा है। बता दें कि सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर लगाई गई है।
ये मामला तब शुरू हुआ था, जब UPSC ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें लेटरल एंट्री के जरिए 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली गईं थी।
राहुल गांधी ने कही थी ये बात
बता दें कि लेटरल भर्ती में कैंडिडेट्स बिना UPSC की परीक्षा दिए रिक्रूट किए जाते हैं। इसमें आरक्षण के नियमों का भी फायदा नहीं मिलता है। इसी का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।
Kolkata Rape-Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को लगाई फटकार,
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा था कि नौकरशाही में लेटरल एंट्री नई बात नहीं है। 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान लेटरल एंट्री होती रही है और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी ऐसी पहलों के प्रमुख उदाहरण हैं (Lateral entry controversy)।