Ganga Saptami: गंगा सप्तमी 14 मई को मनाई जाएगी। इस बार इस तिथि पर सात साल बाद पुष्य नक्षत्र और प्रवर्धमान योग बन रहा है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और पूजन से सात जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है। साथ ही अमृत फल की प्राप्ति होती है। तो चलिए जानते हैं गंगा सप्तमी के बारे में कुछ खास बातें…
समस्त नदियों में सबसे सर्वश्रेष्ठ मां गंगा
मान्यताओं के मुताबिक, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मां गंगा स्वर्गलोक से भगवान शिवजी की जटाओं से धरती पर अवतरित हुई थीं। शास्त्रों में वर्णन है कि मां गंगा तीनों लोकों में बहती हैं। इसलिए उन्हें त्रिपथगामिनी कहा जाता है। मां गंगा को सभी नदियों में सबसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस बार 14 मई को गंगा सप्तमी मनाई जाएगी। ज्योतिषविद विमल जैन के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की तिथि 13 मई को रात में 2:51 बजे से लगेगी, जो 14 मई को भोर में 4:20 बजे तक रहेगी। खास बात ये है कि इस बार सात साल बाद पुष्य नक्षत्र और प्रवर्धमान योग बन रहा है।
ऐसे करें मां गंगा की पूजा
ब्रह्म मुहूर्त में अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले आपको अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंध और कुश लेकर गंगा सप्तमी व्रत का संकल्प लेना होगा। इसके बाद मां गंगा को धूप, दीप, पुष्प आदि नैवेद्य आदि अर्पित कर पूजा करनी चाहिए। साथ ही गंगा उत्पत्ति की कथा का करनी चाहिए। श्रीगंगा स्तुति और श्रीगंगा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। दान-पुण्य भी करना चाहिए।