Covishield Vaccine मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। Covishield Vaccine को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की गई है। इस याचिका में Covishield Vaccine के दुष्प्रभाव और जोखिम की जांच के लिए एक पैनल का गठन करने की मांग की गई है। याचिका में मांग की गई है कि जो लोग इस वैक्सीन को लगाने की वजह से अक्षम हो गए हैं या जिनकी मौत हो गई है उन्हें मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए। ये याचिका वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई है।
आपको बता दें, Covid-19 की वैक्सीन बनाने वाली ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने स्वीकार किया था कि उनकी कंपनी के द्वारा बनाई गई कोविड-19 वैक्सीन से साइड इफेक्टस हो सकते हैं। हालांकि, कंपनी ने वैक्सीन से होने वाले लाभ के पक्ष में भी तर्क दिए हैं।
ब्रिटेन की कंपनी एस्ट्राजेनेका(AstraZeneca) ने यूके हाईकोर्ट में स्वीकार किया है कि उनकी कंपनी द्वारा बनाई गई कोविड-19 वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसे गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते है। कंपनी द्वारा बनाई गई वैक्सीन को दुनियाभर में कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया के नाम से जाना जाता है।
क्या होता है थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम?
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के कारण इंसान के शरीर और दिमाग में खून के थक्के जम सकते हैं। शरीर में खून के थक्के जमने के कारण ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा इस सिंड्रोम से खून में प्लेटलेट्स कम होने की भी संभावना बढ़ जाती है।
ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा निर्मित वैक्सीन के खिलाफ कई लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। लोगों ने आरोप लगाया है कि वैक्सीन लेने के बाद उन्हें थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम की समस्या हो रही है। इन लोगों ने कोर्ट से मुआवजे की मांग की है। ब्रिटेन के निवासी जैमी स्कॉट ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। उन्होंने अप्रैल 2021 में कोरोना वैक्सीन की डोज ली थी, जिसके बाद वह स्थाई मस्तिष्क क्षति से जूझ रहे हैं। जैमी स्कॉट समेत कई अन्य मरीजों से TTS के साथ थ्रोम्बोसिस नाम की दुर्लभ संकेत दिखे थे। इन सभी शिकायतकर्ताओं ने कंपनी के खिलाफ केस दर्ज कराते हुए मुआवजे की मांग की थी।
ऐसे में अब फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के बारे में कुछ मुख्य बाते कहीं हैं। आइए जानते हैं…
-एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट के सामने कहा है कि यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर तैयार की गई वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, लेकिन ये बहुत दुर्लभ हैं।
-एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन के पक्ष में तर्क देते हुए कोर्ट को बताया कि कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाने पर भी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम हो सकता है। ऐसे में यह कहना कि वैक्सीन लेने से साइड इफेक्ट्स हुए हैं, तो यह उचित नहीं है।
-कंपनी ने कहा कि कई स्टडीज में इस वैक्सीन को कोरोना से निपटने के लिए अत्यधिक कारगर माना गया है। एस्ट्राजेनेका ने कहा किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इन स्टडीज पर ध्यान देना आवश्यक है।
-एस्ट्राजेनेका का कहना है कि वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स बहुत ही दुर्लभ हैं। कंपनी ने कहा कोरोना की दवाएं उचित मानकों में खरी उतरी हैं, मरीज का स्वास्थ्य और सुरक्षा कंपनी की प्राथमिकता है।
-कंपनी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल और पूरी दुनिया में इसकी स्वीकार्यता से साफ होता है कि बड़े पैमाने पर विभिन्न देशों में हुए टीकाकरण से इसका लाभ हुआ है।
-कंपनी ने दावा किया कि कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन की मदद से दुनियाभर में 60 लाख से अधिक लोगों को जिंदगी मिली है।
-एस्ट्राजेनेका का कहना है कि जो लोग वैक्सीन लगने के बाद कई तरह की समस्याओं का दावा कर रहे हैं, इससे वे चिंतित हैं, लेकिन कंपनी भी अपने दावे पर कायम है कि इसके साइड इफेक्ट्स रेयर टू रेयरेस्ट केस में ही सामने आ सकते हैं।
बता दें, भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका से हासिल लाइसेंस के तहत देश में इस वैक्सीन का उत्पादन किया था और इसे भारत के कोविड टीकाकरण अभियान में इस्तेमाल किया गया था, साथ ही साथ दुनिया के कई देशों को भी निर्यात किया गया।