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आजम खान को लगा करार झटका, डूंगरपुर मामले में कोर्ट ने सुनाई 7 साल की सजा

Azam Khan 7 years imprisonment in Dungarpur case

लोकसभा चुनाव की तारीख के ऐलान के कुछ दिन बाद ही समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता आजम खान को जबरदस्त झटका लगा है। उत्तर प्रदेश के रामपुर में एमपी/एमएलए अदालत ने सपा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को सात साल जेल की सजा सुनाई है। इसके अलावा तीन अन्य को पांच साल की सजा सुनाई गई है।

आजम खान समेत ये लोग दोषी

दोषी ठहराए गए लोगों में रामपुर के पूर्व मेयर अज़हर अहमद खान, पूर्व जिला अधिकारी आले हसन और बरकत अली शामिल हैं। 16 मार्च को एमपी/एमएलए कोर्ट ने चारों को आईपीसी की धारा 427, 504, 506, 447 और 120बी के तहत दोषी पाया। आजम खान मौजूदा समय में सीतापुर जेल में बंद हैं। आजम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए थे।

घटना का बैकग्राउंड

उत्तर प्रदेश के रामपुर में डूंगरपुर की घटना 2019 की है जब कथित अतिक्रमणकारियों ने निजी भूमि पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया था। इसके बाद काफी अराजकता देखने के लिए मिली। जानकारी के मुताबिक, इन लोगों ने डूंगरपुर बस्ती में घरों में जबरन प्रवेश करके वहां के निवासियों पर हमला किया। उनके पैसे और सामान लूट लिए।

यूपी में योगी सरकार जब आई तो जमीन के मालिक एहतेशाम ने इन लोगों के खिलाफ गुंडागर्दी करने का मामला दर्ज कराया था। इसमें आजम खान समेत छह लोगों का नाम शामिल था। आजम खान पर आपराधिक साजिश का आरोप है। बाकी तीन लोगों पर घर पर हमला, डकैती करने का आरोप है। हालांकि सबूत पर्याप्त ना होने के चलते बाकी दो आरोपी बरी हो चुके हैं।

फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामला

आजम खान एक और मामले के तहत सजा भुगत रहे हैं। पिछले साल, आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम खान को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में शामिल होने के लिए सात साल जेल की सजा सुनाई गई थी। यह मामला 2017 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से जुड़ा है, जिसमें अब्दुल्ला आजम खान रामपुर के स्वार (Swar) निर्वाचन क्षेत्र से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। अब्दुल्ला आजम पर चुनावी हलफनामे में अपनी उम्र गलत बताने के आरोप के बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

आरोपों के अनुसार, अब्दुल्ला आजम की घोषित उम्र उनके एजुकेशनल सर्टिफिकेट और जन्म प्रमाण पत्र में दी गई जानकारी से मेल नहीं खाती। अब्दुल्ला आजम पर दो अलग-अलग जन्म प्रमाणपत्रों का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था। एक प्रमाण पत्र एक जून 2012 में रामपुर नगर पालिका द्वारा जारी किया गया था, जिसमें रामपुर को उनका जन्मस्थान बताया गया था। दूसरा जनवरी 2015 में जारी किया गया था, जिसमें लखनऊ को उनका जन्मस्थान दिखाया गया था।


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