श्रेष्ठ भारत (Shresth Bharat) | Hindi News

Our sites:

|

Follow us on

|

क्या नाबालिगों की वजह से सड़कों पर बढ़ रहे हादसे, क्यों नहीं मिलती सजा ?

पुणे में 18 मई की रात को तेज रफ्तार पोर्शे कार चला रहे 17 साल के नाबालिग को रोड एक्सीडेंट के मामले में 15 घंटे के अंदर जमानत मिल गई। हादसा 17 मई तड़के कोरेगांव पार्क इलाके में हुआ था, जिसमें दोपहिया वाहन सवार दो लोगों की मौत हो गई। आरोपी नाबालिग ने शराब पीकर दो लोगों को रौंद दिया।
Pune Porsche crash | Road Accident | shreshth bharat |

Pune Porsche crash: दो न्याय अगर तो आधा दो, पर इसमें भी अगर बाधा हो, तो दे दो केवल पांच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम… रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ‘कृष्ण की चेतावनी’ कविता की ये लाइनें ‘पुणे लग्जरी कार एक्सीडेंट’ मामले में एकदम सटीक बैठ रही हैं। महाभारत के दौर से लेकर कलयुग के दौर तक बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन इतिहास गवाह है न्याय प्रणाली’ जस की तस है। आज भी न्याय पर उसका कब्जा है, जिसकी लाठी में दम है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता आरोपी एक की जान ले या हजारों की।

पुणे जो इस वक्त चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां 18 मई की रात को तेज रफ्तार पोर्शे कार चला रहे 17 साल के नाबालिग को रोड एक्सीडेंट के मामले में 15 घंटे के अंदर जमानत मिल गई। हादसा 17 मई तड़के कोरेगांव पार्क इलाके में हुआ था, जिसमें दोपहिया वाहन सवार दो लोगों की मौत हो गई। आरोपी नाबालिग ने शराब पीकर दो लोगों को रौंद दिया, लेकिन उसके रसूख के आगे कानून की जंजीरें ढीली पड़ गईं और नाबालिग को हिरासत में लिए जाने के 15 घंटों के अंदर ही कोर्ट ने उसे जमानत दे दी, लेकिन रिहाई के लिए कुछ शर्तें भी रखीं हैं जैसे- 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करना होगा, मानसिक जांच और इलाज करवाना होगा, सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव और उनके समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखना होगा, किसी नशा मुक्ति केंद्र में जाकर रिहैबिलिटेशन लेना होगा, ट्रैफिक नियमों को पढ़ना होगा और भविष्य में अगर वो किसी सड़क दुर्घटना को देखें तो पीड़ितों की मदद करनी होगी।

ऐसे में ये कहा जा सकता है कि दो लोगों की जान चली गई और कोर्ट ने जो नैतिक ज्ञान टाइप करके जो सजा दी है, वो कई सवालों को जन्म देती है। क्योंकि ‘न्याय’ का जो सूत्र हल्के नियमों से गुथा गया इस पर सवाल उठने लाजमी है। क्योंकि एक नाबालिग जो जवानी की दहलीज से बस कुछ कम दूर है। वह शराब पीकर दो लोगों की दुनिया को बेरहमी से उजाड़ देता है, उसे क्या सजा मिलनी चाहिए ? इसका जवाब आप, हम और न्याय सिस्टम में बैठे लोग अच्छे से जानते हैं, लेकिन ऐसी क्या मजबूरी है कि इंसान की मौत को 300 शब्द के निबंध से ढकने की कोशिश की गई ? क्योंकि सुप्रीम कोर्ट समेत देश की कई अदालतें साफ कर चुकी हैं क‍ि आरोपी 16 से 18 साल का नाबाल‍िग ही क्‍यों न हो अगर वह हत्‍या और बलात्‍कार जैसे जघन्‍य अपराधों में शाम‍िल है तो उसे पर बाल‍िगों की तरह केस चलेगा। कोर्ट यह तक कह चुका है कि ऐसे आरोप‍ियों को मौत या आजीवन कैद की सजा भी दी जा सकती है। इतना ही नहीं जघन्‍य अपराधों में आरोपी को 16 साल की उम्र तक ही स्पेशल होम में रखा जा सकता है। इसके बादे उसे अन्‍य कैद‍ियों के साथ जेल में श‍िफ्ट कर द‍िया जाता है। वहीं, 12 साल से कम उम्र के बच्चों पर कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता तो आखिर क्यों 17 साल के नाबालिग पर इतनी रहमदिली दिखाई गई।

फिलहाल अब इस हादसे के आरोपी के पिता को पुलिस ने हिरासत में लिया है। क्योंकि मोटर व्हीकल एक्ट में नाबालिग अपराधियों के लिए एक अलग धारा है। इसमें साफ लिखा है कि अगर आरोपी नाबालिग है तो इस तरह के मामलों में अभिभावक या फिर वाहन मालिकों को दोषी माना जाएगा इसलिए अब आपको नाबालिगों के गाड़ी चलाने पर नियम क्या है और इस नियम के तहत गाड़ी नहीं चलाई गई तो आखिर क्या होगा।

क्या कहता है कानून ?

देश में 16-18 साल के युवाओं के लिए 50 सीसी से कम के गियरलेस टू-व्हीलर चलाने की परमीशन है। मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के तहत अगर कोई नाबालिग गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके अभिभावक से 25,000 का जुर्माना वसूला जाएगा। साथ ही अभिभावक को 3 साल तक की सजा हो सकती है। नाबालिग पर 25 साल की उम्र तक किसी भी तरह की गाड़ी चलाने पर बैन लगाया जाएगा।

अब सवाल उठता है कि पुणे के पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में नाबालिग को क्या सजा मिल सकती थी क्योंकि नाबालिग अपराधियों और किशोरों के मामलों को देखते हुए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2000 कानून लाया गया था, जिसके तहत देशभर में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और जुवेनाइल कोर्ट बनाए गए। इसमें सबसे अहम संशोधन दिसंबर 2012 में निर्भया कांड के बाद हुआ था, जिसके तहत अगर 16 साल या उससे ज्यादा उम्र का कोई किशोर जघन्य अपराध करता है, तो उसके साथ वयस्क की तरह ही बर्ताव किया जाएगा, लेकिन क्या इस केस में ऐसा किया गया। तो जवाब है नहीं और इसी वजह से हर साल भारत में ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं।

NCRB-2022 की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 की तुलना में 2021 में सड़क दुर्घटना 3,68,828 से बढ़कर 4,22,659 जा पहुंची। इन दुर्घटना में करीब 10% भूमिका नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चों की है। भारत में हर दिन सड़क दुर्घटना में करीब 40 बच्चों की मौत होती है, जिसमें कम उम्र में ड्राइविंग करना बड़ा कारण है। जिस तरह से ये संख्या बढ़ रही है भारत में और सख्त कानून की जरूरत है, ताकी ऐसे मामले सामने ना आ सके, लेकिन ये कब होगा ये किसी को पता नहीं, लेकिन अगर ऐसा विदेश में होता तो जरूर सख्त कार्यवाई होती क्योकि दुसरे देशों के कानून काफी सख्त हैं। भारत में तो ड्राइविंग करने के लिए शख्स को 18 साल या उससे ज्यादा उम्र का होना जरूरी क्योकि भारत में 18 साल का व्यक्ति बालिग कहलाता है लेकिन अमेरिका चीन और जापान में ड्राइविंग करने की उम्र 18 या उससे कम रखी गई है।

दूसरे देशों में क्या है कानूनी उम्र ?

चीन में भी भारत की तरह ड्राइविंग करने की कानूनी उम्र 18 साल है। कनाडा में 16 साल है, जब कोई बालिग होता है तो उसे ड्राइविंग लाइसेंस मिलता है। अमेरिका में ड्राइविंग करने की कानूनी उम्र 16 साल है। जापान में ड्राइविंग करने की उम्र 18 साल है जब कोई बालिग हो जाता है। यानी अलग-अलग देशों में अलग-अलग बालिग होने की उम्र तय की गई है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या भारत में भी बालिगों की उम्र 16 कर देनी चाहिए जो अभी 18 साल है। क्योंकि नाबालिग द्वारा होने वाला अपराध भारत में तेजी से बढ रहा है। बड़े से बड़े अपराध करने पर भी नाबालिगों को केवल बाल सुधार गृह में रखा जाता है। ऐसे में सरकार को नाबालिग के लिए 16 साल तक की उम्र कर देनी चाहिए। इस वक्त ज्यादातर मामले 16 से 18 साल के बीच वाले नाबालिगों द्वारा ही किया जाता हैं। इसलिए कानून में संशोधन बहुत ही जरूरी है।

ये भी देखें



संबंधित खबरें

वीडियो

Latest Hindi NEWS

Health News
Health News: टॉयलेट सीट पर चलाते हैं फोन, बड़ी बीमारी से हो सकते हैं ग्रसित!
CM DHAMI
Uttarakhand: जनजातीय गौरव दिवस आज, मुख्यमंत्री धामी करेंगे कार्यक्रम का शुभारंभ
UPPSC Exam News Date
UPPSC Exam News Date: UPPSC परीक्षा की नई तारीख का एलान, जानें कब होगा एग्जाम
UPPSC RO-ARO Protest
UPPSC Protest: छात्रों का आंदोलन 5वें दिन भी जारी, जानें कहां फंसा है पेंच
Anshul Kamboj
Ranji Trophy: अंशुल कंबोज ने रचा इतिहास, ऐसा करने वाले बने 6ठें भारतीय गेंदबाज
India Vs South Africa 4th T20
IND vs SA: सीरीज जीतने के इरादे से उतरेगी सूर्या ब्रिगेड, जानें संभावित प्लेइंग11