क्या आपने कभी सोचा है कि सर्दियों के मौसम में ही कोरोना का खतरा हर साल क्यों बढ़ जाता है। इस साल भी सर्दियां आते ही एक बार फिर कोरोना तेजी से बढ़ने लगा है। कोरोना का नया वैरिएंट दुनिया के लिए चिंता बन गया है। भारत में भी कुछ दिनों में ही तेजी से कोरोना केस बढ़े हैं। देश में एक बार फिर से Covid 19 का खतरा बढ़ रहा है। अब तक देश के 11 राज्य कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सर्दियां आते ही कोरोना के केस क्यों बढ़ने लगते हैं।
जेएन1 ओमिक्रॉन का सब-वेरिएंट BA.2.86 से बना है। 2022 में BA.2.86 के कारण ही कोरोना के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई थी। हालांकि, ये वेरिएंट व्यापक रूप से नहीं फैला था लेकिन इसके म्यूटेशन ने स्वस्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी थी। BA.2.86 के स्पाइक प्रोटीन पर अतिरिक्त म्यूटेशन हुए थे और उसी तरह JN.1 के स्पाइक प्रोटीन में भी एक अतिरिक्त म्यूटेशन है।
जेएन1 को सबसे तेजी से फैलने वाला वेरिएंट माना जा रहा है। ये मजबूत इम्युनिटी वाले व्यक्ति को भी आसानी से संक्रमित कर सकता है। हालांकि, अभी तक इसके मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरुरत नहीं पड़ी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में लोग पहले ही ओमिक्रॉन वेरिएंट समेत कई सब-वेरिएंट के संपर्क में आ चुके हैं और उन्हें COVID-19 वैक्सीन की कम से कम दो डोज लग चुकी हैं। ऐसे में SARS-CoV-2 वेरिएंट या उप-वेरिएंट के कारण गंभीर बीमारी होने का कोई नया जोखिम नहीं है।
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कोविड-19 महामारी को तबाही मचाए चार साल बीत चुके हैं। पर हमारे जीवन में और शरीर में कहीं न कहीं संक्रमण के रुप में अभी तक जीवित है।
सर्दियों में ही क्यों बढ़ता है कोरोना
कोरोना के बढ़ते केस ने एक बार फिर सभी राज्यों को अलर्ट मोड पर ला दिया है. इस बार भी नए वैरिएंट से जान का खतरा ज्यादा देखने को मिल रहा है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि हर बार कोविड 19 के नए वैरिएंट सर्दियों में ही क्यों आने लगते हैं. आखिर किस कारण से कोरोना सर्दियों में अपना पैर पसारता है. इसको लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि सर्दियों में रेस्पिरेटरी इंफेक्शन बढ़ते हैं. इस मौसम में इन्फ्लूएंजा यानी फ्लू के केस भी काफी ज्यादा आते हैं. फ्लू की चपेट में आने पर खांसी-जुकाम और बुखार की समस्या होती है। ऐसे में इलाज के लिए अस्पताल जाना होता है और उनका कोविड टेस्ट भी होता है. ज्यादा टेस्ट होनेसे केस सामने आते हैं. चूंकि वायरस हमेशा ही मौजूद होता है ऐसे में जब टेस्ट होगा तो केस बढ़ेंगे. इसी वजह से सर्दियों में कोविड के केस में बढ़ोतरी हो जाती है।
कमजोर होती है इम्यूनिटी
सर्दी के मौसम में अक्सर कई इंफेक्शन की चपेट में लोग आते रहते हैं। जिसकी वजह से लोगों की इम्यूनिटी वीक हो जाती है। जिसकी वजह से संक्रमित हो जाना आम बात हो जाती है। इस वजह से कोरोना के केस भी बढ़ जाते हैं।
कोविड का नया वेरिएंट जेएन.1 तेजी से फैल रहा है। केरल के बाद अब तक यह करीब 11 राज्यों तक पहुंच चुका है। इनमें कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोवा, पुडुचेरी, गुजरात, तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान शामिल हैं। ऐसे में इन राज्यों में हार्ट अलर्ट है और लोगों से सावधानी बरतने की अपील की जा रही है। इसके साथ ही उन्हें कोविड के नियमों का पालन करने को कहा जा रहा है।
ठंड और शुष्क सर्दी को कोविड-19 के मामलों में वृद्धि का कारण बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे मौसम गर्मियों से सर्दियों की ओर मौसम बढ़ता है और तापमान में गिरावट आती है जिससे मौसम शुष्क होने लगता है। जिसके कारण उत्तरी गोलार्ध के देशों में कोविड-19 की तीव्र दूसरी लहर को बढ़ने में मदद मिलती है। सर्दियों में ठंड कोे कारण किटाणु संक्रमण बढ़ने लगता है।
केरल में कोरोना का आतंकी आक्रमण पहले क्यों
केरल में पर्यटन काफी अच्छा है। राज्य में हर महीने लाखों लोग दूसरे राज्यों से आते हैं। ऐसे में कुछ लोग कोविड पॉजिटिव हो जाते हैं। इनकी गिनती केरल के खाते में ही आती है। दूसरी बात यह भी कह सकते हैं कि राज्य में कोविड को लेकर फिलहाल कोई पाबंदी नहीं है। लोग वायरस से बचाव के नियमों का सख्ती से पालन नहीं कर रहे हैं। फेस्टिवल के दौरान बाजारों में भीड़ भाड़ अधिक रहती है, जिससे वायरस को फैलने का मौका मिलता है।अकेले केरल में ही 9 हजार से ज्यादा एक्टिव केस देखने को मिले। यानी कि पूरे देश के 28 फीसदी सक्रिय मामले इसी राज्य से हैं। यह पहली बार नहीं है कि केरल में वायरस का सबसे ज्यादा असर हुआ है। कोरोना के पिछले तीन साल के इतिहास पर गौर करें तो हर बार केरल से ही कोविड का विस्फोट होता है. इस दफा भी ऐसा ही हो रहा है. कोरोना का पहला केस भी केरल में ही आया था।