मां पर कई रचनाएं लिखने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राणा का 71 साल की उम्र में रविवार (14 जनवरी) देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से लखनऊ के पीजीआई में भर्ती थे। उन्हें किडनी व हृदय रोग से संबंधित समस्या थी।
पिछले दो साल से किडनी खराब होने के कारण मुनव्वर राना की डायलिसिस चल रही थी। साथ में फेफड़ों की गंभीर बीमारी सीओपीडी से भी परेशान थे। 9 जनवरी को हालत खराब होने पर पीजीआई में एडमिट किया गया था जहां मंगलवार को उन्होंने आखिरी सांस ली। पीजीआई के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर नारायण प्रसाद ने बताया कि लंबे समय से उन्हे किडनी की बीमारी थी। 9 जनवरी को जब एडमिट किया गया तो उन्हें सीओपीडी के साथ हार्ट की भी दिक्कत थी, जिसके चलते वेंटिलेटर पर रखा गया। सेहत में सुधार होने के बाद वेंटिलेटर से हटाया गया था लेकिन ज्यादा समय तक बिना वेंटिलेटर रह नहीं सके। दोबारा उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा, जहां रविवार को उनका निधन हो गया।
राणा देश के लोकप्रिय शायरों में से एक थे, जो हिंदी और उर्दू दोनों में लिखते थे। मुनव्वर राणा को साहित्य अकादमी और माटी रतन सम्मान के अलावा कविता का कबीर सम्मान, अमीर खुसरो अवार्ड, गालिब अवार्ड भी मिला था। इसके अलावा उनकी दर्जन भर से ज्यादा पुस्तकें भी हैं। इनमें मां, गजल गांव, पीपल छांव, बदन सराय, नीम के फूल, सब उसके लिए, घर अकेला हो गया शामिल हैं।