उत्तर प्रदेश के कानपुर के आईआईटी कैम्पस में ही दो सप्ताह के अंदर यह दूसरी वारदात सामने आई है। एमटेक के छात्र विकास मीणा के बाद अब प्रियंका जायसवाल ने भी इसी कैंपस में फांसी लगा ली है। बताया जा रहा है कि प्रियंका रात में अपने माता पिता से बातचीत की और ठीक लग रही थी। उसने सुबह उठाने को कहा क्योंकि रोज उसे नाश्ता करने में लेट हो जाता है।
कानपुर में हॉस्टल के कमरे में फंदा लगाकर जान देने वाली आईआईटी की पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल की खबर से कानपुर आईआईटी के छात्र दहशत में हैं। माता पिता ने सुबह अपनी बेटी प्रियंका को उठाने के लिए फोन किया तो फोन न उठने से उन्हें चिंता हुई जिसके बाद उन्होंने आईआईटी प्रशासन को सूचना दी। तब उन्हें पता चला कि उनकी बेटी ने खुदकुशी कर ली है। प्रियंका की आत्महत्या से सहपाठी भी सकते में हैं। साथी छात्र-छात्राओं का कहना है कि उसने 29 दिसंबर को ही प्रवेश लिया था। ऐसे में अभी किसी प्रकार का पढ़ाई का कोई दबाव नहीं थी।
पुलिस के मुताबिक, प्रियंका दो बहनों में बड़ी थी। उसने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी से एमटेक किया था। गेट में अच्छी रैंकिंग होने पर कानपुर आईआईटी में दाखिला मिला था। वह पढ़ने में होशियार थी। सहपाठियों ने बताया कि जल्द दाखिला लेने की वजह से अन्य छात्रों से मिक्स नहीं हो पाई थी। अवसाद में थी या नहीं इस बात की किसी ने पुष्टि अभी तक नहीं की है। फोरेंसिक टीम ने पूरे कमरे को खंगाला, लेकिन कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।
एसीपी ने बताया कि दरवाजा तोड़ने के बाद पुलिस टीम जब भीतर दाखिल हुई, तो प्रियंका का शव फंदे से लटक रहा था। मेज गिरी पड़ी थी। ऐसे में साफ है कि प्रियंका ने फंदे से लटकने के लिए टेबल का सहारा लिया था। कमरे में बेड के अलावा एक टेबल, रजाई-गद्दा, एक बैग और कुछ कॉपी-किताबें रखी थीं। फोरेंसिक टीम ने पूरे कमरे को खंगाला, लेकिन कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। प्रियंका ने ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी से दो रस्सियां मंगाई थीं। ये रस्सियां किसी काम के लिए मंगाई थीं या आत्महत्या करने के लिए ही, यह जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। इंस्पेक्टर धनंजय पांडेय ने बताया कि छात्रा के पिता से फोन पर आत्महत्या का कारण जानने का प्रयास किया गया, पर अभी तक कुछ मामला स्पष्ट नहीं हो पाया है।
प्रियंका की क्लास चार जनवरी से शुरू हुईं। क्लास शुरू होने से पहले काउंसलिंग सेशन भी हुआ। मोटिवेशनल स्पीच के साथ छात्रों को संस्थान और नए प्रवेश की जानकारी दी गई थी। उस दौरान भी छात्रा ने अपनी परेशानी काउंसलर से साझा नहीं की। पीएचडी में दाखिला लेेने के बाद डेढ़ से दो साल का कोर्स वर्क होता है, जिसके बाद गाइड मिलता है। छात्रों का कहना है कि पढ़ाई का तनाव रहता है, लेकिन इतने शुरुआती स्तर पर नहीं।
आईआईटी में एक माह में यह तीसरी आत्महत्या है। पुलिस-प्रशासन के साथ आईआईटी अधिकारी मौके पहुंचे, लेकिन मीडिया के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। इससे पहले के मामलों में भी मीडिया को अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली थी। पुलिस के अनुसार प्रियंका दो बहनों में बड़ी थी। गेट में अच्छी रैंकिंग होने पर उसको कानपुर आईआईटी में दाखिला मिला था। इससे साफ पता चलता है कि प्रियंका पढ़ने में ब्रिलिएंट थी। सहपाठियों ने पूछताछ में बताया कि हाल ही में प्रियंका का एडमिशन हुआ था।
आईआईटी प्रशासन से कहीं न कहीं चूक हुई, जिस वजह से इतना बड़ा हादसा हुआ है। भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए कहां कमी रह गई, इसका पता आईआईटी को लगाना होगा