सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने बुधवार या की 10 जुलाई को कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला (divorced muslim women) अपराध प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144) के तहत अपने पति से भरण-पोषण की हकदार है। इसके लिए वह याचिका दायर कर सकती है। जस्टिस बीवी नागरत्ना (justice bv janrathana) और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने एक मुस्लिम युवक मोहम्मद अब्दुल समद की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला हर धर्म की महिलाओं पर लागू होगा। मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भत्ता पाने का उतना ही अधिकार है, जितना अन्य धर्म की महिलाओं को।