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बच्चों का बचपन बचाने के लिए आयोग 1 जून से चलाएगा ये अभियान

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करना है, जो बच्चों के हित में सभी कानूनी प्रावधानों, उनके संरक्षण और विकास के लिए प्रदेश में चलाई जा रहीं...

Uttarakhand Child Protection Commission: उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना शुक्रवार को मसूरी पहुंचीं। उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में डिप्टी डायरेक्टर और अन्य अधिकारियों के साथ ‘बाल अधिकार ऑन बाल अधिकारों और जेंडर’ को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाल अधिकार संरक्षण आयोग के गठन का उद्देश्य प्रदेश में बाल अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करना है।

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि एक ऐसी (Uttarakhand Child Protection Commission) व्यवस्था स्थापित करना है, जो बच्चों के हित में सभी कानूनी प्रावधानों, उनके संरक्षण और विकास के लिए प्रदेश में चलाई जा रहीं सभी योजनाओं की सटीकता, सम्पूर्णता, प्रभावशीलता की निगरानी कर सके। साथ ही उन्हें और अधिक प्रभावोत्पादक बनाने के लिए सजग प्रहरी और मार्ग-दर्शक की भूमिका निभा सके, ताकि प्रदेश में बच्चों के लिए सकारात्मक और खुशहाल वातावरण निर्मित हो।

उन्होंने बताया कि देश में जेंडर को लेकर जो भ्रांतियां हैं, उस पर काम करने की जरूरत है, जिससे समाज को जोड़ा जा सके। स्कूलों में भी बाल संरक्षण के अधिकारों और जेंडर को लेकर पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए, जिससे बच्चे जागरूक हो सकें। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा मसूरी के तिब्बतन होम्स स्कूल का भी निरीक्षण किया गया, जहां पर तिब्बती समुदाय के बच्चे पढ़ाई करते हैं। जहां पर बच्चों की संख्या बहुत कम थी। यह देखकर वह काफी प्रसन्न थीं, क्योंकि यहां पर बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा रही है। वहीं, पढ़ाई को लेकर बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है।

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उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि जो बच्चे भीख मांगते हुए देखे जा रहे हैं, उनको लेकर बाल संरक्षण आयोग काफी चिंतित है। उन्होंने कहा कि भीख मांग रहे बच्चों को मुख्य धारा से जोडने का प्रयास किया जा रहा है। कहा कि चिल्ड्रेन ऑन स्ट्रीट सिचुएशन के तहत केंद्र और राज्य सरकार काम कर रही है। इसके तहत भीख मांगने वाले बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिलाने के साथ छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं, इन बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बाल श्रम को रोकने के लिए एक जून से पहाड़ों की रानी मसूरी से एससीपीसीआर द्वारा 1 जून से 3 जून तक अभियान शुरू किया जा रहा है।

इस अभियान के तहत मसूरी में होटल, होमस्टे, रेस्टोरेंट और ढाबों में काम कर रहे बच्चों को रेस्क्यू किया जाएगा। उन्होंने मसूरी होटल एसोसिएशन, मसूरी व्यापार मंडल और होम स्टे एसोसिएशन से अपील की है कि बचपन को सुरक्षित रखने के लिए मासूम बच्चों को अपने संस्थानों में काम पर न लगाएं। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि जो भी बच्चा कहीं भी काम करते हुए नजर आए, वह उसकी शिकायत डीएम पोर्टल में अपलोड करें। वह बाल संरक्षण आयोग की मेल कर जानकारी दें, जिससे कि बचपन को बचाया जा सके।


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