Rani Shahiba Ka Fatak Bareilly: उत्तरप्रदेश के बरेली का चौधरी मोहल्ला मशहूर होने के साथ-साथ दिलचस्प भी है। यहां रहने वाले कई लोग बताते हैं कि यहां 400 साल पहले एक महल हुआ करता था, जिसके अब केवल अवशेष रह गए हैं। इसी जगह पर एक फाटक भी था, जिसे रानी साहिबा का फाटक कहा जाता था। फाटक के भी सिर्फ अवशेष मात्र रह गए हैं। यहां के रहने वाले दावा करते हैं कि आज भी उन्हें रानी साहिबा की मौजूदगी का अहसास होता है। रात के वक्त एक महिला यहां चहलकदमी करते हुए नजर आती है।
राजा का शाहजहां से संबंध
चौधरी मोहल्ला के कुछ दिलचस्प किस्से आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि राजा और उनके पूर्वज वैद्य हुआ करते थे। वह एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। ऐसा कहा जाता है कि एक बार बादशाह शाहजहां की गर्भवती बेटी की तबीयत खराब हो गई थी। शाही हकीमों ने उनका इलाज किया, पर वह नाकाम रहे। तभी शाहजहां ने बेटी को ठीक करने के लिए राजा वसंतराव के पिता को बुलाया।
राजा को दिया चौधरी का खिताब
उस वक्त महिलाएं पर्दे में रहा करती थीं। महल की शहजादियों को किसी से मिलने की अनुमति नहीं थी। इसी वजह से राजा वसंतराव के पिता ने हाथ में डोर बांधकर नब्ज देखी और बादशाह की बेटी को दवा दी, जिससे वह ठीक हो गईं। इस से खुश होकर शाहजहां ने उन्हें बरेली का यह इलाका इनाम के तौर पर दे दिया। साथ ही उन्हें चौधरी के खिताब से नवाजा गया।
महल में राजा अपने परिवार के साथ रहते थे। वर्तमान समय में यह खंडहर बन चुका है। यह जगह चौधरी मोहल्ला, रानी साहिबा का फाटक और चौधरी तालाब के नाम से बरेली में प्रसिद्ध है।
राजा ने क्यों दी नरबलि?
ऐसा कहा जाता है कि राजा की रुहेलों से नहीं बनती थी। वे महल पर दोनों तरफ से हमले किया करते थे। इससे तंग आकर राजा ने शाहबाद और लखना से अपने रिश्तेदारों को बुला लिया और उन्हें महल के आसपास बसा दिया। महल की सुरक्षा के लिए उन्होंने एक फाटक का निर्माण कराने का सोचा, लेकिन दीवार दिन में बनने के बाद उसी रात में अपने आप गिर जा रही थी। जिसे देखते हुए राजा को नरबलि देने की सलाह दी गई। नरबलि देने के बाद यहां विशालकाय फाटक बन पाया।