केंद्र सरकार ने किसानों की मांगे नहीं मानी, इसके बाद किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया, जिसके बाद किसान नेताओं ने बुधवार को दिल्ली के लिए कूच करने का फैसला किया। किसान अभी शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं जो राजधानी दिल्ली से लगभग 300 किलोमीटर दूर है। किसानों को दिल्ली आने के लिए पहले हरियाणा आना होगा। पंजाब और हरियाणा बॉर्डर पर स्थित शंभू बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं जहां पर पुलिस ने बैरिकेडिंग की है। इसके लिए किसान पंजाब हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर हाईड्रोलिक क्रेन, जेसीबी व बुलेटप्रूफ पोकलेन जैसी भारी मशीनें लेकर आए हैं।
अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे किसान केंद्र सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं। सभी किसान इस बात पर अड़े हैं कि सरकार MSP पर गांरटी कानून बनाए। अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए, केंद्र पर दबाव बनाने के लिए किसान आज दिल्ली कूच करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए किसान पंजाब हरियाणा के बॉर्डर पर हाईड्रोलिक क्रेन, जेसीबी व बुलेटप्रूफ पोकलेन जैसी भारी मशीनें लेकर आए हैं। वहीं किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा है कि किसान आगे बढ़ेंगे और पूरी दुनिया किसानों को आगे बढ़ते हुए देखेगी। पंधेर ने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि किसानों को मारने से समस्या का समाधान हो सकता है तो वह सरकार ऐसा कर सकती है लेकिन किसान शांतिपूर्वक आगे बढ़ना जारी रखेंगे। पंधेर ने कहा हम अपनी मांगो को लेकर अड़े रहेंगे। हम सरकार से आज भी मांग करेंगे कि फैसला करे। सरकार कहेगी MSP पर गारंटी कानून बनाएंगे, ये आंदोलन अभी खत्म हो जाएगा।
हरियाणा के 7 जिलों में इंटरनेट पर पांबदी
किसान आंदोलन को देखते हुए हरियाणा सरकार अर्लट मोड में है। सरकार ने किसान आंदोलन के चलते राज्य के 7 जिलों में इंटरनेट पर पांबदी बढ़ा दी है। दरअसल राज्य सरकार ने 11 फरवरी को अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा और डबवाली में मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिय़ा था। लेकिन आज किसानों के आंदोलन के मद्देनजर मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध को बढ़ा दिया गया है। राज्य सरकार ने 21 फरवरी रात 12 बजे तक के लिए प्रतिबंध बढ़ा दिया है।
शंभू बॉर्डर पर तैयारी के साथ जुटे किसान
पंजाब हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर जुटे किसान पूरी तैयारी के साथ आए हैं। किसानों ने आंसू गैस के गोलों से बचने के लिए मास्क पहने हुए हैं। इतना ही नहीं आंदोलनकारी किसानों ने मिट्टी से भरे प्लास्टिक के थैले भी इकट्ठा किए हुए हैं। किसानों ने कहा है कि बॉर्डर पर बनीं सीमेंट की बैरीकेडिंग को जेसीबी व बुलेटप्रूफ पोकलेन जैसी भारी मशीनों के जरिये तोड़ लेगें। लेकिन जरूरत पड़ने पर ‘प्लान बी’ के मुताबिक मिट्टी के थैलों को नदी में डालकर अस्थायी पुल भी तैयार कर लेंगे। ताकि दिल्ली कूच में किसी भी तरह की कोई बाधा उत्पन्न न हो।