महाराष्ट्र में मराठों को 10-12 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए मसौदा तैयार कर लिया। क्यास लगाए जा रहे हैं कि मंगलवार को होने वाले राज्य विधानमंडल के एक दिवसीय विशेष सत्र में मुहर लग सकती है।
महाराष्ट्र में चल रहे मराठा आंदोलन के कागजात तैयार कर लिए गए है। जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आंदोलन को खारिज कर दिया था। वहीं कल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि मराठा समाज को टिकाउ और कानून के अन्तर्गत आरक्षण देने के लिए एक विधानमंडल का एक विशेष सज्ञ जारी किया गया है।
महाराष्ट्र में लगभग 40 साल पुराने मामले को खत्म करने के लिए मराठो को 10 से 12 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है। आद यानि मंगलवार को को होने वाले राज्य विधानमंडल के एक दिवसीय सत्र में आरक्षण बिल पर मुहर लग सकती है। मराठों और सरकार के बीच चल रहे असंतोष के बीच राज्य विधानमंडल के विशेष सत्र की शुरुआत राज्यपाल रमेश बैस के अभिभाषण से होगी। फिर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट सदन में पेश की जाएगी। इसमें मराठों को पिछड़ा घोषित कर आरक्षण देने की सिफारिश की गई है
ओबीसी या अन्य समुदायों के आरक्षण को नुकसान पहुंचाए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा। उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा है कि हम ऐसा आरक्षण देंगें जो मनोज जरांगे को स्वीकार हो या न हो लेकिन मराठों को स्वीकार होगा।
मराठा आंदेलन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने मराठा विधायको से अपील करते हुए कहा कि सभी एकमत से आरक्षण का करेंगे। अगर, आरक्षण को लेकर समाज के विधायकों ने आवाज नहीं उठाई तो समझा जाएगा कि वे मराठा विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण में सगे संबंधियों का जिक्र होना चाहिए। अगर इसको ठीक से लागू नही किया गया तो 21 फरवरी से नए तरीके से आंदोलन की शुरूआत करेंगे।
मराठा आरक्षण की मांग सन 1981 में राज्य में मथाडी मजदूर संघ के नेता अन्नासाहेब पाटिल के नेतृत्व में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पहला विरोध प्रदर्शन किया गया था। यह समुदाय मराठों के लिए कुनबी जाति के प्रमाण पत्र की मांग कर रहा है जिससे वे ओबीसी श्रेणी में शामिल होकर आरक्षण पा सकेंगे। कृषि से जुड़े कुनबी जाति के लोगों को महाराष्ट्र में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी में रखा गया है।
साल 2014 में कांग्रेस राज्य में सत्ता में थी। कांग्रेस सरकार तब मराठों को 16 प्रतिशत आरक्षण देने का अध्यादेश लाई थी। महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में एक विशेष प्रावधान- सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम के तहत मराठा आरक्षण को मंजूरी दे दी।