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Asansol Lok Sabha Constituency: आसनसोल में विपक्ष को ‘खामोश’ कर पाएंगे शत्रुघ्न सिन्हा?

इस सीट से टीएमसी (TMC) ने शत्रुघ्न सिन्हा को उम्मीदवार बनाया। वहीं भाजपा ने सुवेंद्रजीत सिंह को प्रत्याशी बनाया है। आइये जानते हैं आसनसोल सीट का चुनावी इतिहास को…
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Asansol Lok Sabha Constituency: लोकसभा चुनाव 2024 में इस कई बॉलीवुड सितारें चुनावी मैदान में उतरे। आज हम बात करेंगे बंगाल की हॉट सीट आसनसोल की। इस सीट से टीएमसी (TMC) ने शत्रुघ्न सिन्हा को उम्मीदवार बनाया। वहीं भाजपा ने सुवेंद्रजीत सिंह को प्रत्याशी बनाया है। आइये जानते हैं आसनसोल सीट का चुनावी इतिहास को…

आसनसोल लोकसभा सीट का इतिहास

आसनसोल बर्दवान संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। साल 1957 में यह बर्दवान से कटकर आसनसोल संसदीय क्षेत्र बना। आसनसोल लोकसभा क्षेत्र का गठन साल 1957 में हुआ था। साल 2022 तक इस सीट पर दो उपचुनाव सहित कुल 18 बार चुनाव हुए। इस सीट पर पहला उपचुनाव साल 2005 में माकपा नेता विकास चौधरी के निधन व दूसरा उपचुनाव 2022 में तत्कालीन सांसद बाबुल सुप्रियो के पद से इस्तीफा देने के बाद हुआ था। यहां 18 बार हुए चुनाव में 10 बार माकपा प्रत्यशियों ने जीत हासिल की है।

आसनसोल लोकसभा क्षेत्र में करीब 50 फीसदी आबादी हिंदी भाषी है, जो चुनाव में मुख्य भूमिका निभाते हैं। यहां की कुल आबादी 2161395 है। करीब 80.27 फीसदी शहरी आबादी है। इस लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 1711500 है। वहीं पोलिंग बूथों की संख्या 2351 है।

मनमोहन दास और अतुल्य घोष बने थे पहली बार सांसद

इस सीट पर दो नेता संयुक्त रूप से पहले सांसद बने थे। कांग्रेस के मनमोहन दास व अतुल्य घोष थे। साल 1962 आसनसोल सीट के लिए दूसरी बार हुए चुनाव में कांग्रेस के अतुल्य घोष फिर से सांसद बने थे।

सयुंक्त समाजवादी पार्टी के देबेन सेन दर्ज की थी जीत

1967 के लोकसभा चुनाव में संयुक्त समाजवादी पार्टी के देबेन सेन ने जीत दर्ज की और सांसद बने। साल 1977 के लोकसभा चुनाव में रोबिन सेन विजयी हुए और वर्ष 1980 के मध्यावधि चुनाव तक वह सांसद बने रहे। 1980 के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस के आनंदगोपाल मुखर्जी इस सीट से जीतकर सांसद बने थे।

1989 में माकपा के हाराधन राय की हुई थी जीत

1989 में हुए चुनाव में माकपा उम्मीदवार हाराधन राय (Asansol Lok Sabha Constituency) आसनसोल सीट से जीतकर सांसद बने थे। वर्ष 1991 के मध्यावधि चुनाव में भी हाराधन राय जीते और दूसरी बार सांसद बने। साल 1996 के चुनाव में हाराधन राय ने जीत की हैट्रिक लगाई और तीसरी बार यहां से सांसद बने।

यह भी पढ़ें- Exit Poll के नतीजों ने बढ़ाई कांग्रेस की चिंता! राहुल गांधी-खड़गे ने बुलाई अहम बैठक

2014 में बाबुल सुप्रियो बने सांसद

वर्ष 2005 में हुए उपचुनाव में माकपा के बंशगोपाल चौधरी जीत दर्ज कर यहां के सांसद बने। इसके बाद साल 2009 के चुनाव में माकपा के बंशगोपाल चौधरी जीत दर्ज कर दूसरी बार सांसद बने। 2014 तक बंशगोपाल चौधरी इस सीट से सासंद रहे। 2014 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो जीतकर सांसद बने। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर से इस सीट पर जीत दर्ज की और बाबुल सुप्रियो दोबारा सांसद बने।


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