हमास-इजरायल युद्ध को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बयान को लेकर चल रही खबरों के बीच व्हाइट हाउस ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप-आर्थिक-गलियारे और हमास हमले पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की टिप्पणियों को गलत समझा जा रहा है।
व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी राष्ट्रपति बाइडन के एक सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें उन्होंने संकेत दिया था कि 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले के पीछे एक कारण भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक-गलियारे की हालिया घोषणा थी जो रेल, सड़क और बंदरगाहों के नेटवर्क वाला पूरा क्षेत्र को एकीकृत करता है।
किर्बी ने कहा “मुझे लगता है कि आपने उन्हें गलत समझा। उन्होंने कहा था कि जब हमास ने हमला किया था तो हमले के कारणों में से एक कारण यही गलियारा था। मेरे पास इसका कोई सबूत नहीं है बस मेरी अंतरात्मा मुझे यह बता रही है। मुझे लगता है कि उन्होंने वास्तव में जो कहा आपने उसे गलत समझा।”
आईएमईईसी को बहुत सारे लोग चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के विकल्प के तौर पर देखते हैं। इस परियोजना का ऐलान अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने सितंबर में जी20 सम्मेलन के दौरान किया था। जो एक बहुत ही बड़ा प्रयास माना जा रहा था।
इस कॉरिडोर में भारत का खाड़ी देशों से और पूर्वी कॉरिडोर के तहत और खाड़ी देशों का यूरोप से पश्चिमी कॉरिडरोर के तहत संपर्क होगा। बाइडन ने इसके लिए मध्य पूर्व देशों से आर्थिक और राजनैतिक तौर पर सहयोग की मांग की और कहा कि इससे बहुत तेजी से बदलाव होगा और इसमें सबका यहां तक कि चीन का भी हित जुड़ा है।
बाइडन ने पिछले एक हफ्ते में मध्य पूर्व के संकट के चलते दूसरा बार इस कॉरिडोर का जिक्र किया है। युद्ध की शुरू होने के दिन से ही इजरायल गाजा पट्टी पर लगातार हमले कर रहा है। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने इलाके में खत्म हो रहे ईंधन आदि के खत्म होने पर चिंता जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र में अभी तक इस युद्ध पर किसी तरह का प्रस्ताव पास नहीं हो सका है।
भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा कि इजरायल पर हालिया हमले इजरायल, सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों के बीच अशांति फैलाने के लिए किए गए हैं। इन हमलों का उद्देश्य अब्राहम समझौते और I2U2 समूह द्वारा स्थापित संबंधों को बाधित करना भी था जिसके कारण इजरायल और खाड़ी देशों के बीच संचार में वृद्धि हुई थी।
मालूम हो कि ट्रम्प प्रशासन की मध्यस्थता वाले अब्राहम समझौते में उन समझौतों का एक समूह शामिल है जिन पर इजरायल ने चार अरब देशों: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), मोरक्को, बहरीन और सूडान के साथ हस्ताक्षर किए हैं। ये समझौते सितंबर 2020 और जनवरी 2021 के बीच स्थापित किए गए थे। भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अब्राहम समझौता 15 सितंबर, 2020 को इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के बीच हस्ताक्षरित अरब-इजरायल सामान्यीकरण पर द्विपक्षीय समझौता है।
इसके अतिरिक्त, I2U2 समूह भारत, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका का एक समूह है। 14 जुलाई, 2022 को जारी समूह के पहले संयुक्त बयान में कहा गया है कि देशों का लक्ष्य जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में संयुक्त निवेश और नई पहल पर सहयोग करना है।
यह सच है कि इसे साबित करना कठिन है कि हमास के हमले के पीछे इंडिया-मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर की कोई भूमिका हो सकती है। लेकिन बाइडन इस बयान के जरिए मध्य पूर्व देशों को इजरायल से संबंध सुधारने की जरूरत को रेखांकित करते दिख रहे हैं। इसके जरिए वे हमास को भी अलग थलग करना चाहते हैं। उनके पास मध्य पूर्व के अन्य देशों के इजरायल के खिलाफ जाने से रोकने की भी चुनौती है। अगर वे ऐसा कर लेते हैं तो यह उनकी बड़ी सफलता होगी।