पश्चिम बंगाल के मंत्री और तृणमूल कांग्रेस नेता ज्योतिप्रिय मल्लिक को राशन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। मल्लिक की गिरफ्तारी केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा कोलकाता के बाहरी इलाके साल्ट लेक में मंत्री के आवास पर तलाशी लेने के एक दिन बाद हुई है।
ईडी ने कहा “पश्चिम बंगाल के मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक को राशन वितरण में भ्रष्टाचार के एक कथित मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया है।” ईडी के अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद अपनी गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंत्री ने कहा कि वह “गंभीर साजिश का शिकार” थे। ईडी राशन वितरण में भ्रष्टाचार के एक कथित मामले के सिलसिले में तलाशी ले रहा है।
मल्लिक वर्तमान में वन मामलों के राज्य मंत्री हैं और पहले उनके पास खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग का प्रभार था।
ईडी की छापेमारी के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘प्रतिशोध लेने’ और इसके खिलाफ बोलने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ झूठ फैलाने के लिए केंद्र की ‘सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग’ के खिलाफ जमकर हमला बोला था। केंद्रीय एजेंसियों पर ‘नाम निकालने’ के लिए गैरकानूनी तरीकों का सहारा लेने का आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि अगर मधुमेह से पीड़ित मल्लिक को कुछ भी हुआ तो वह भाजपा और ईडी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगी। ममता बनर्जी ने ईडी के छापे को बीजेपी द्वारा विपक्षी नेताओं के खिलाफ गंदा राजनीतिक खेल भी बताया।
इस घोटाला का संबंध सार्वजनिक वितरण प्रणाली और कोविड-19 के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौरान खाद्यान्न के वितरण में कथित अनियमितताओं से है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता एवं राज्य की मंत्री शशि पांजा ने मलिक के आवासों पर छापेमारी की आलोचना करते हुए कहा ‘यह विजयादशमी के अवसर पर बंगाल की संस्कृति पर हमला है। यह बदले की राजनीति के अलावा और कुछ नहीं है। हमने देखा है कि दुर्गा पूजा से पहले हमारे नेताओं के परिसरों पर उस समय छापे मारे गए थे जब हम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत निधि जारी किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।’
इस साल की शुरुआत में ईडी ने पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के आवास से भारी नकदी की बरामदगी के बाद शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में उन्हें गिरफ्तार किया था।