भाजपा ने अपने 21 रणबांकुरों को विधानसभा के रण में उतारकर उनके दम खम की इसबार परीक्षा ली। जो पास हुए उनका दम भी दिख गया और जो फेल हो गए उन्हें अपने दम का अंदाजा भी हो गया। यानी प्रधानमंत्री मोदी ने एक तीर से 2 शिकार किए। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने कुल 21 सांसदों को मैदान में उतारा था। इनमें से 12 सांसद चुनाव जीते जबकि बाकी 9 हार गए।
जीते हुए 12 सांसदों में से 10 ने बुधवार को लोकसभा सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। राजस्थान से चुनाव जीतने वाली छत्तीसगढ़ की रेणुका सिंह ने अभी इस्तीफा नहीं दिया है।
संसद सदस्यता छोड़ने वालों में मध्य प्रदेश से नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, राकेश सिंह, उदय प्रताप और रीति पाठक हैं। वहीं छत्तीसगढ़ से अरुण साव और गोमती साय जबकि राजस्थान से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा शामिल हैं।
तेलंगाना में विधानसभा चुनाव जीते कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने भी संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
राजस्थान से बीजेपी की तरफ से 7 सांसदों ने चुनाव लड़ा। जिनमें बाबा बालकनाथ, किरोड़ीलाल मीणा, दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, भागीरथ चौधरी, नरेंद्र खीचड़ और देवजी पटेल शामिल थे। इन सात में से सिर्फ चार ही चुनाव जीत सके। चुनाव जीतने वालों में राज्यवर्धन, बालकनाथ, दीया कुमारी और किरोड़ीलाल का नाम है।
राजस्थान से जिन तीन सांसदों ने इस्तीफा दिया है, वे संसद सदस्यता छोड़कर विधानसभा की सदस्यता लेंगे। पार्टी इन तीनों विधायकों को मंत्री पद दे सकती है। जबकि राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को CM पद का दावेदार माना जा रहा है।
इस्तीफा नहीं देने वाले
राजस्थान से बाबा बालकनाथ ने सांसद पद से इस्तीफा अभी लोकसभा स्पीकर को नहीं सौंपा है। ऐसे में वह या तो आने वाले दिनों में इस्तीफा देंगे। अगर नहीं देते हैं तो उन्हें विधायक पद छोड़ना पड़ेगा। जहां पर उपचुनाव कराए जाएंगे।
नियम के मुताबिक, संसद या विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद खाली सीट पर 6 महीने के अंदर चुनाव कराने होते हैं। चूंकि इस बार 2024 में मई तक नई सरकार बन सकती है। ऐसे में हो संभव है सांसदों की खाली सीट पर एक साथ अगले साल ही चुनाव कराए जाएं।