भारत में अफगान दूतावास को एक अक्टूबर से बंद करने की घोषणा अफगान दूतावास ने औपचारिक तरीके से कर दी है। भारत में अफगान दूतावास ने तालिबान शासन की ओर से “संसाधनों की कमी” और “अफगानिस्तान के हितों को पूरा करने में विफलता” का हवाला देते हुए भारत में अपने संचालन को बंद कर दिया है।
भारतीय दूतावास का मानना है कि कुछ वाणिज्य दूतावास हैं जो तालिबानी सरकार के निर्देश और फंड पर काम करते हैं। वे वैध नहीं हैं और ना ही वे चुनी हुई सरकार के मकसद के मुताबिक काम कर रहे हैं, बल्कि एक “अवैध शासन” (तालिबानी सरकार) के हितों का ख्याल रखते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान शासन स्थापित होने के बावजूद भारत में अफगागिस्तान की पुरानी सरकार के राजनयिक और दूतावास काम कर रहे थे।
रविवार की सुबह 1 अक्अटूबर को अफगान दूतावास ने एक बयान में बताया कि- गहरे दुख, अफसोस और निराशा के साथ बताना पड़ रहा है कि नई दिल्ली में अफगानिस्तान के दूतावास ने अपने संचालन को बंद करने का फैसला किया है। दूतावास ने एक बयान में कहा कि “यह फैसला बेहद खेदजनक है,अफगानिस्तान और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों और दीर्घकालिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए फैसले पर विचार करते हुए लिया गया है।
अफगानी दूतावास ने कहा कि विएना कन्वेन्शन कुटनीतिक संबंध (1961) के अनुछेद 45 के मुताबिक दूतावास की सारी संपत्ति उस देश को दे दी जाएगी जिसमें दूतावास काम कर रहा हो। दूतावास ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की और बताया- ”हम भारत सरकार से गुजारिश करते हैं कि वह पहले सौंपे गए आधिकारिक नोट की चार बातों का ख्याल रखें और उसपर गौर करे।
बयान में कहा गया, “अफगानिस्तान का दूतावास कुछ वाणिज्य दूतावासों की गतिविधियों के बारे में एक स्पष्ट बयान देना चाहता है. यह हमारा दृढ़ विश्वास है कि इन वाणिज्य दूतावासों की ओर से की गई कोई भी कार्रवाई एक वैध या निर्वाचित सरकार के मकसदों को पूरा नहीं करती है।अफगान दूतावास ने एक बयान में भारत सरकार का आभार व्यक्त किया और कहा- ”अफगानी राजदूत और दूतावास के राजनयिकों ने पिछले 22 सालों में अफगानिस्तान को उनकी मदद के लिए भारत के लोगों और भारत सरकार का हार्दिक आभार व्यक्त करता है।”