Delhi Coaching Tragedy: पिछले महीने 27 जुलाई को दिल्ली के राउ आईएएस कोचिंग के बेसमेंट में स्थित लाइब्रेरी में पानी भर जाने के कारण तीन छात्रों की दुखद मौत हो गई थी। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली के कोचिंग सेंटरों को “मौत के कुएं” करार दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्वल भूयान की पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि वे कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा की स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि ये सेंटर बच्चों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा के क्या नियम लागू किए गए हैं।
कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि अगर कोचिंग सेंटर सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते हैं तो उन्हें ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर देनी चाहिए। हालांकि, फिलहाल कोर्ट ने इस पर कोई आदेश नहीं दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और एमसीडी को नोटिस जारी कर सुरक्षा संबंधी जानकारी मांगी है।
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इसके अलावा, कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने पर कोचिंग सेंटर फेडरेशन के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने मुखर्जी नगर कोचिंग हादसे के बाद जिन कोचिंग सेंटरों के पास अग्निशमन विभाग से NOC नहीं थी, उन्हें बंद करने का आदेश दिया था। कोचिंग फेडरेशन ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
क्या है पूरा मामला? (Delhi Coaching Tragedy)
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राव आईएएस स्टडी सर्किल के बेसमेंट में जलभराव होने से तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मृत्यु हो गई। यह घटना पिछले रविवार को घटी थी और तब से इस मामले में राजनीतिक घमासान जारी है। छात्र इंसाफ की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि कोचिंग सेंटर संचालक छात्रों की जान को खतरे में डालकर मुनाफा कमा रहे हैं। यदि समय रहते उचित कार्रवाई की गई होती तो यह हादसा टाला जा सकता था।