सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रीजनल रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम परियोजना (RRTS) के लिए फंड आवंटित कराने के लिए दिए गए वादे के उल्लंघन के लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई और उसे फंड आवंटित करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने आदेश को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया और कहा कि अगर दिल्ली सरकार परियोजना के लिए आवश्यक धन उपलब्ध नहीं कराती है तो यह आदेश लागू होगा। अदालत के आदेश के बावजूद परियोजना के लिए धन जारी नहीं करने के खिलाफ एनसीआरटीसी द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए पीठ ने दिल्ली की आप सरकार की खिंचाई की और उसे अपना विज्ञापन बजट कुर्क करने की चेतावनी दी।
दिल्ली सरकार के रुख पर निराशा व्यक्त करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों का “घोर उल्लंघन” हुआ है। अप्रैल में शीर्ष अदालत ने विशेष रूप से उल्लेख किया था कि दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली-अलवर कॉरिडोर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर के समय पर कार्यान्वयन के लिए दिल्ली सरकार द्वारा देय शेष राशि का तुरंत भुगतान किया जाना था।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में विज्ञापनों के लिए बजटीय आवंटन लगभग 1100 करोड़ रुपये था और इस वित्तीय वर्ष के लिए 550 करोड़ रुपये है।
दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने एक सप्ताह का समय मांगा पीठ ने एक सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया और कहा कि यदि इस बीच धन आवंटन नहीं किया जाता है तो आदेश लागू हो जाएगा।
पीठ ने आदेश दिया हम विज्ञापन उद्देश्यों के लिए आवंटित धनराशि को संबंधित परियोजना में स्थानांतरित करने का निर्देश देने के लिए बाध्य हैं। वकील के अनुरोध पर हम इस आदेश को एक सप्ताह की अवधि के लिए स्थगित रखेंगे। यदि धनराशि स्थानांतरित नहीं की जाती है आदेश अमल में आएगा।