छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी में जबरदस्त टक्कर होने की संभावना है। छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले की पाटन सीट राज्य की हॉट सीटों में से एक है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यहां से विधायक हैं। बीजेपी ने मुख्यमंत्री के खिलाफ उनके दूर के भतीजे विजय बघेल को मैदान में उतारा है।
पाटन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गढ़ है। वो 1993 के विधानसभा चुनावों के बाद से इस सीट से पांच बार चुने गए हैं। हालांकि 2008 में विजय बघेल ने सीएम भूपेश बघेल को 7842 वोटों से हरा दिया था। ऐसे में बीजेपी ने भतीजे विजय बघेल को मैदान में उतारकर अपना दांव खेला है।
इसी संदर्भ में दुर्ग से बीजेपी सांसद और उम्मीदवार, पाटन विधानसभा क्षेत्र के विजय बघेल का कहना है कि “आज जो परिदृश्य पाटन में देखने को मिल रहा है, उसमें जो भ्रष्टाचार हो रहा है, जो जगह-जगह शराब बिक रही है, गली में, मोहल्ले में, कूचे में। कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और जो हमारे धरती के देवता कहे जाने वाले किसानों के साथ दादागिरी हो रही है। वहीं रमेश देवांगन जो एक बीजेपी कार्यकर्ता हैं कहते हैं कि – यहां मुख्यमंत्री चुनाव लड़ रहे हैं एक तरफ तो दूसरी तरफ भाजपा से जो सांसद हैं विजय बघेल जी सांसद जो हैं, उनको टिकट दिया गया है। यहां अगर आम जनता से अगर कहा जाए कि कौन भारी होगा, तो आज की स्थिति में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो निर्णय दे सके, क्योंकि दोनों का पलड़ा भारी है। दोनों के बीच कोई राजनैतिक टकराव नहीं हुआ है। आपको बताएं कि विजय बघेल 2019 में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे।
वहीं के स्थानीय निवासी देवेंद्र कुमार वर्मा जो पेशे से दुकानदार हैं कहते हैं कि टक्कर तो देगा, लेकिन मुख्यमंत्री को हराना मुश्किल है ऐसा लगता है। बाकी देखो अब आगे क्या होता है, सांप-नेवले वाला माहौल है इस टाइम। मतलब टक्कर तो देगा, इतना पक्का है।
इसके अलावा इस राज्य में शराबबंदी एक ऐसा मुद्दा है जिस पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों लगातार बहस करते रहे हैं। लेकिन आजतक कोई ठोस कदम कोई भी सरकार नहीं उठा पाई है। इसपर बीजेपी कार्यकर्ता प्रसाद आदिल कहते हैं कि जो उन्होंने जो गंगा जल का सौगंध ले के शराब बंदी की बात कही थी, वो शराब बंदी मूलतः नहीं हुई है। और उल्टा गांव-गांव में शराब की गंगा जल बह रही है। इस कारण से गांव में लड़ाई-झगड़ा, मारपीट, वाद-विवाद, बलात्कार, हत्या सारे जितने भी ऐब हैं वो हो रहे हैं। इस कारण से कांग्रेसियों का, भूपेश बघेल का क्षेत्र में बहुत ही सारा नकारात्मक बात आ रही है। इस कारण से इनको बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो रही है और हमारे भाजपा के विजय बघेल जी को एकतरफा विजय होगी।
वहीं इसके इतर कांग्रेस के नेता मणि वैष्णव अपनी राय कुछ इस तरह रखते हैं – भारतीय जनता पार्टी शराब बंदी के पक्ष में तो है नहीं, वो केवल चुनावी इनका मुद्दा है और जहां तक बात है शराब बंदी की ये अगर बात कर रहे हैं तो मध्य प्रदेश में क्यों बात नहीं करते। वहां पर तो महिलाओं के लिए अलग दुकानें खोली जा रहीं हैं। और जो है राजस्व बढ़ाने के लिए फटकार लगाते हैं शिवराज सिंह चौहान अधिकारियों को जो आबकारी अधिकारियों को, तो वहां पर शराब बंदी की बात क्यों नहीं करते। आगे कहते हैं कि अगर केवल पाटन विधानसभा की बात करें, तो वहां भी अगणित विकास कार्य हुए हैं, जैसे कि वहां सड़कों का जो जाल बिछा है, काफी अच्छी सड़के वहां बनी हुईं हैं सरकार आने के बाद भूपेश बघेल जी के शासनकाल में। हॉर्टिकल्चर विश्वविद्यालय वहां बना है, कृषि महाविद्यालय बना है वहां पर।
छत्तीसगढ़ के कुछ दूसरे लोंगों का मानना है कि वीआईपी निर्वाचन क्षेत्र होने के नाते, यहां की बुनियादी सुविधाओं का काफी विकास हुआ है । इसपर वहीं के स्थानीय देवेंद्र कुमार चतुर्वेदी कहते हैं कि -आज से जैसे पांच साल पहले और अब पांच साल बाद देखें तो बहुत अंतर है। यहां की सड़कें, पानी की सुविधाएं, आवागमन का साधन सब बहुत बढ़िया हो गया है और दो साल में इतना अच्छा हुआ है कि हम अपेक्षा नहीं कर रहे थे, उससे अच्छा काम हुआ है।
केशव वर्मा जो पेशे से एक वकील हैं कहते हैं कि इन पांच सालों में महिला समूहों को आर्थिक रूप से संपन्न हुए हुए हैं और ये सरकार छत्तीसगढ़ की संस्कृति और उसके कल्चर को बखूबी धरातल पर लाकर रखे हैं, चाहे खेल के रूप में हो या त्योहारों के रूप में हो और जो इस क्षेत्र में योजनाएं किसानों के लिए, युवाओं के लिए किए हैं, वो बहुत लाभकारी रहा है। किसान सुदृढ़ हुए हैं।
विपक्षी पार्टी के नेता चंद्राकर( बीजेपी) कांग्रेस प निशाना साधते हुए कहते हैं कि -जब से मुख्यमंत्री बने हैं, तब से न पाटन क्षेत्र का विकास तो कहीं नहीं दिख रहा है। सिर्फ वो अपने कार्यकर्ताओं का विकास करते हैं। पाटन में उन्हें न तो स्वास्थ्य की चिंता है, न तो शिक्षा की चिंता है और न ही जो हमारे युवा भाई बेरोजगार हैं उनके बारे में कोई चिंता है। उन्हें सिर्फ अपने आपकी चिंता है। उन्हें घोटाले करने से फुर्सत ही नहीं है, तो आम जनता के बारे में वो सोच ही नहीं सकते हैं।
2018 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की कुल 90 सीटों में से 68 सीटें जीतीं थीं। बीजेपी 15 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही।
सत्तारूढ़ पार्टी ने 2018 के बाद पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में जीत दर्ज कर राज्य में अपनी पकड़ और मजबूत कर ली है। वर्तमान में कांग्रेस के 71 विधायक हैं।