महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे 2004 से ही सीएम बनने की महत्वाकांक्षा पाले हुए थे लेकिन बात नहीं बनी।
दक्षिण मुंबई के आज़ाद मैदान में अपने नेतृत्व वाली शिवसेना की वार्षिक दशहरा रैली को संबोधित करते हुए श्री शिंदे ने यह भी खुलासा किया कि मुख्यमंत्री पद के लिए उद्धव ठाकरे के नाम की सिफारिश करने के लिए दो व्यक्तियों को राकांपा प्रमुख शरद पवार के पास भेजा गया था।
एकनाथ शिंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे की इच्छा 2004 से सीएम बनने की थी लेकिन ‘जुगाड़’ काम नहीं आया। उन्होंने दिखावा किया कि उन्हें इस पद में कभी दिलचस्पी नहीं थी। यह सार्वजनिक रूप से कहा गया था कि उन्होंने 2019 विधानसभा के बाद जिम्मेदारी स्वीकार कर ली। लेकिन तथ्य यह है कि इस पद के लिए उद्धव के नाम की सिफारिश करने के लिए दो व्यक्तियों को पवार के पास भेजा गया था।
मुख्यमंत्री शिंदे ने आरोप लगाया ” उद्धव कई मुखौटे पहनते हैं और सीधे चेहरे से काम करते हैं वह सीएम पद के लिए एक अवसर बन गए।”
शिंदे ने कहा कि उन्हें आश्चर्य नहीं होगा अगर वे (शिवसेना-यूबीटी) असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीम (एआईएमआईएम) के साथ गठबंधन कर लें और ‘‘वे अपने स्वार्थी उद्देश्यों और सत्ता के लिए हमास, हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों को गले लगा लें।’’
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने यह भी दोहराया कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है जो कानूनी जांच में खरा उतरेगा। साथ ही उन्होंने युवाओं से आत्महत्या जैसे कदम नहीं उठाने की अपील की।
श्री शिंदे और कई विधायकों के विद्रोह के बाद पिछले साल जून में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी। बाद में एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।