दुनिया के कई देशों में खालिस्तानी समर्थकों के हुड़दंग को देखते हुए भारत सरकार एक नए फॉर्मूले के साथ सामने आई है. 19 मार्च को खालिस्तान समर्थकों ने लंदन में भारत के हाईकमीशन के बाहर प्रदर्शन किया था. इस दौरान कुछ लोगों ने भारत की शान तिरंगे का भी अपमान किया था और हाईकमीशन की इमारत से तिरंगा उतारकर वहां खालिस्तानी झंडा फहरा दिया था.
मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार ने एक अहम फैसला लिया. इस फैसले के तहत भारतीय विदेश मंत्रालय ने लंदन में हुए प्रदर्शन की शिकायत गृह मंत्रालय को भेजी जिसमें कहा गया था कि लंदन में रह रहे कई एनआरआई इस हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल थे और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. गृह मंत्रालय ने ये शिकायत दिल्ली पुलिस के पास भेजी और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस शिकायत पर एक एफआईआर दर्ज कर ली. ये एफआईआर(FIR) यूएपीए (UAPA) और पीडीपीपी (PDPP) एक्ट के तहत की गई.
यूएपीए एक्ट (UAPA) आतंकवाद गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए लगाया जाता है और ये बेहद कड़ा कानून है. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक एफआईआर दर्ज करने के बाद वो उन लोगों की पहचान करेंगे जो इस प्रदर्शन में शामिल हुए थे. पहचान हो जाने के बाद इन लोगों के भारत में आने पर रोक लग सकती है, ओवरसीज़ सिटिजन ऑफ इंडिया के तहत मिलने वाली सुविधाओं पर भी रोक लगाई जा सकती है और सबसे बड़ी बात ये है कि दिल्ली पुलिस जांच में दोषी पाए गए लोगों की भारत में मौजूद संपत्ति को भी जब्त कर सकती है. साथ में ही ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराने का भी प्रयास करेगी.
पिछले दिनों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और लंदन में भारतीय हाईकमीशन और काउंसलेट को खालिस्तानी समर्थकों ने अपना निशाना बनाया था. हालांकि जिस तरह की कार्रवाई उस देश की पुलिस को उनके खिलाफ करनी चाहिए थी ऐसी कार्रवाई पुलिस ने नहीं की जिसकी वजह से खालिस्तानी समर्थकों का हौसला दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था और वो विदेशों में भारतीय दूतावासों के आगे हिंसक प्रदर्शन कर रहे थे. लंदन में हुई हिंसा के बाद ये सरकार का बहुत अहम और सधा हुआ कदम माना जा रहा है ताकि विदेशों में भारत के खिलाफ साजिश कर रहे खालिस्तानियों की कमर तोड़ी जा सके.