Vinesh Phogat Disqualify in Olympic: पेरिस ओलंपिक में रेसलर विनेश फोगाट ने कल यानी 6 जुलाई को फीमेल 50 किलो कैटेगरी के फाइनल में जगह बनाई थी। इसी से जुड़ी एक बुरी खबर सामने आई है। मैच से पहेल फोगाट का वजन किया गया तो उनका वजन 50 किलो से 100 ग्राम ज्यादा निकला, जिसकी वजह से फोगाट को डिसक्वालीफाई कर दिया गया।
इस वक्त सभी देशवासियों के मन में एक ही सवाल है कि एक दिन पहले खेले गए मैच में उनका वजन ठीक था और अचानक से एक दिन बाद उनका वजन बढ़ने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। आइए जानते हैं कि आखिरकार रेसलिंग में वजन को लेकर क्या नियम हैं, जिसके बाद आपको सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे कि किस वजह से फोगाट को अयोग्य घोषित किया गया…
क्या है वजन के नियम
ओलंपिक में कुश्ती के खिलाड़ियों के वजन को लेकर जो नियम हैं, उनके अनुसार, पहलवानों का मैच से पहले वजन होता है। अगर दो रेसलर दो दिन में दो मुकाबले लड़ते हैं तो दो दिन उनका वजन किया जाता है। नियमों के अनुसार, जिस दिन मुकाबला होता है, उसी दिन हर पहलवान का वजन सुबह किया जाता है।
प्रत्येक भार वर्ग के लिए टूर्नामेंट दो दिवसीय अवधि में लड़ा जाता है, इसलिए जो भी पहलवान फाइनल में पहुंचते हैं, उनका दो दिन वजन होता है। पहले वेट-इन के दौरान पहलवानों के पास वेट बनाने के लिए 30 मिनट का समय होता है। 30 मिनट में कई बार वजन कर सकते हैं, लेकिन दूसरे दिन वेट-इन सिर्फ 15 मिनट का होता है।
वजन के बाद नाखूनों की होती है जांच
वजन करने के बाद खिलाड़ियों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है और ये देखा जाता है कि उनके नाखून भी कटे हुए हैं या नहीं। इस वजन के दौरान कुश्ती पहलवान को सिर्फ सिंगलेट पहनने की इजाजत होती है। इसके बाद अगले दिन टेस्ट करवाया जाता है और इस दिन वेट-इन 15 मिनट तक चलता है। अगर विनेश के केस में समझें तो विनेश का एक दिन में 100 ग्राम वजन बढ़ गया, जिससे उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया है।
बता दें कि फ्रीस्टाइल रेसलिंग में कई वेट कैटेगरी होती हैं। महिलाओं में 50, 53, 57, 62, 68, 76 किलो की कैटेगरी होती है। वहीं, पुरुषों की फ्रीस्टाइल कैटेगरी में 57, 65, 74, 86, 97, 125 किलो की कैटेगरी होती है।
क्या अब सिल्वर भी नहीं मिलेगा?
यूडब्ल्यूडब्ल्यू के नियमों के अनुसार, यदि कोई एथलीट वजन माप में भाग नहीं लेता है या असफल हो जाता है, तो उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा और बिना रैंक के अंतिम स्थान पर रखा जाता है। ऐसे में अब उनको सिल्वर मेडल भी नहीं दिया जाएगा।