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रिपब्लिक डे 2024 :भारत मना रहा है 75वां गणतंत्र दिवस


भारत आज अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। गणतंत्र दिवस मनाने के पीछे का कारण आज के ही दिन इस दिन साल 1930 में ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ ने ब्रिटिश हुकूमत से पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी। इस वर्ष 2024 में भारत का 75 वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों वर्ष 2024 के मुख्य अतिथि हैं। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। भारतीय संविधान के रचियता डा. भीमराव अंबेडकर हैं।

भारत का गणतंत्र दिवस का इतिहास  

स्वतंत्रता सेनानियों के वर्षों के अथक प्रयासों और बलिदानों के बाद, भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता मिली। उस समय भारत के पास कोई स्थायी संविधान नहीं था और तब देश भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत कार्य करता था। तब भारत की स्थिती को देखते हुए और स्वतंत्र भारत के लिए संविधान बनाने हेतु 29 अगस्त 1947 को डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में एक मसौदा समिति का गठन किया गया। 4 नवंबर 1947 को समिति ने एक  मसौदा संविधान तैयार किया और संविधान सभा को प्रस्तुत किया । संविधान को अपनाने से पहले विधानसभा ने दो साल, 11 महीने और 17 दिन का लम्बा समय लिया और कुछ बदलाओं के बाद  24 जनवरी 1950 को विधानसभा के 308 सदस्यों ने दस्तावेज़ की दो हस्तलिखित प्रतियों (एक हिंदी में और एक अंग्रेजी में) पर हस्ताक्षर किए। दो दिन बाद 26 जनवरी 1950 को यह पूरे देश में लागू हो गया। उसी दिन, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारतीय संघ के राष्ट्रपति के रूप में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया और नए संविधान के संक्रमणकालीन प्रावधानों के तहत संविधान सभा भारत की संसद बन गई।

भारत का गणतंत्र दिवस का महत्व

गणतंत्र दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि 26 जनवरी 1950 को पूरे 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगा कर बनाया गया संविधान लागू किया गया था और हमारे देश भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया। भारत में गणतंत्र दिवस एक विशेष दिन है जो न्याय, स्वतंत्रता और समानता के प्रति हमारी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि संविधान सभी कानूनों के मालिक की तरह है, यह मार्गदर्शन करता है कि देश कैसे चलाया जाए और अपने लोगों के अधिकारों की रक्षा की जाए। यह दिन लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी प्रकाश डालता है, जो हमारे समाज की आधारशिला हैं। यह हमें बताता है कि लोगों के पास अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से निर्णय लेने का हिस्सा बनने की शक्ति है, जिससे हमारा देश एक लोकतंत्र बन जाता है जहां हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार होता है। भारत की कई संस्कृतियाँ और परंपराएँ हमें अद्वितीय और मजबूत बनाती हैं और गणतंत्र दिवस समारोह हमारी विविध विरासत को प्रदर्शित करने, नागरिकों के बीच गर्व और एकजुटता की भावना को बढ़ावा देने, हमें एक बड़े परिवार के रूप में एकजुट करने का एक मंच बन जाता है।

गणतंत्र दिवस हर भारतीय के दिल को देशभक्ति और गर्व से भर देता है। उत्सव के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराना, राष्ट्रगान गाना और समग्र देशभक्ति की भावना लोगों और उनके देश के बीच एक मजबूत बंधन बनाती है। समारोह से परे, गणतंत्र दिवस शैक्षिक महत्व रखता है। स्कूल और कॉलेज इस अवसर का उपयोग छात्रों को हमारे संविधान, स्वतंत्रता के संघर्ष और लोकतांत्रिक शासन न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए क्यों महत्वपूर्ण है, के बारे में सिखाने के लिए करते हैं। स्कूल हमें सिखाते हैं कि युवा पीढ़ी के लिए हमारे देश की पहचान को आकार देने वाले इतिहास और मूल्यों को समझने और उनकी सराहना करने का समय आ गया है। गणतंत्र दिवस समारोह में देशभर में विभिन्न आयोजन होते हैं, जिनमें मुख्य फोकस राजधानी में होने वाली भव्य परेड पर होता है

भारत के राष्ट्रपति राजपथ पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं, जिसके बाद औपचारिक मार्च पास्ट होता है, जिसमें विभिन्न राज्यों की ‘झांकी’ और राष्ट्र की तकनीकी उपलब्धियों के माध्यम से सैन्य कौशल, सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन किया जाता है। सशस्त्र बलों, लोक नृत्यों और देशभक्ति गीतों की उपस्थिति इस अवसर की सुंदरता और भावना को बढ़ा देती है।

‘भारतीय संविधान’ दुनिया में सबसे लंबा लिखित संविधान है। गणतंत्र दिवस मनानेका एक मुख्य लक्ष्य भारतीय संविधान का सम्मान करना और हमारेदेश के स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देना है जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपनी जान गंवाई है।

हर साल किसी अन्य देश या राष्ट्र के राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होते है। इस साल मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी भारत के गणतंत्र दिवस समारोह मेंमुख्य अतिथि के रूप मेंशामिल होंगे। भारत के पहलेगणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे। इस कार्यक्रम का अंत 29 जनवरी को विजय चौक पर ‘बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी’ के साथ होता है। इसी के साथ चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है।


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