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यूपी से बिहार तक NDA और I.N.D.I.A के लोकसभा चुनाव में सस्पेंस, कहां फंसी है किसकी सीट?

NDA | I.N.D.I.A | BJP | CONGRESS | LOKSABHA ELECTION | SHRESHTH BHARAT

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव है और इस वक्त इस लोकसभा चुनाव में सस्पेंस पर सस्पेंस है। एक तरफ यूपी में अमेठी और रायबरेली सीट पर सस्पेंस है तो दूसरी तरफ प्रियंका गांधी को लेकर सस्पेंस है, कि इस वक्त लोकसभा चुनाव सर पर है। लेकिन, प्रियंका गांधी आखिर कहां गायब हैं। इतना ही नहीं बिहार और महाराष्ट्र में भी इतने संस्पेंस है कि, अगर इस पर से पर्दा उठे तो हर कोई हैरान रह जाए और ऐसे में आज हम इन सभी सस्पेंस से पर्दा उठाने वाले है।

सबसे पहले बात करेंगे उत्तर प्रदेश की क्योंकि उत्तर प्रदेश में इस वक्त कांग्रेस लोकसभा चुनाव को लेकर काफी जद्दोजहद कर रही है और इस वक्त उत्तर प्रदेश की तीन लोकसभा सीटों पर लगातार सस्पेंस बना हुआ है कि वहां से उम्मीदवार आखिर होगा कौन? इनमें दो सीटें कांग्रेस से जुड़ी हैं।

रायबरेली से मौजूदा सांसद हैं सोनिया गांधी हैं जिन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का संकेत दे दिया है। वहीं, अमेठी से राहुल गांधी चुनाव लड़ते रहे हैं। हालांकि पिछली बार वह इस सीट पर स्मृति ईरानी से राहुल गांधी हार गए थे। लेकिन, इस बार फिर से राहुल गांधी अमेठी से चुनावी मैदान में ताल ठोकेंगे या नहीं  अभी तक यह तय नहीं है।

तीसरी सीट है कैसरगंज 

जहां से BJP के नेता बृजभूषण शरण सिंह सांसद हैं, वही बृजभूषण शरण सिंह, जिन पर पिछले दिनों महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। इसके बाद से BJP में उनका टिकट तय नहीं माना जा रहा है। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि इन तीनों सीटों पर उम्मीदवारों का फैसला 26 अप्रैल के बाद होगा। 26 अप्रैल के बाद इसलिए क्योंकि उससे इन तीनों सीटों के तार जुड़े हैं। दरअसल  कांग्रेस के अंदर से आ रही सूचनाओं के मुताबिक, राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन, इसकी औपचारिक घोषणा वह केरल के वायनाड में चुनाव होने के बाद कर सकते हैं ताकि वहां कोई गलत संदेश न जाए। ऐसे ही बृजभूषण सिंह की दावेदारी का एलान BJP राजस्थान में चुनाव होने के बाद कर सकती है ताकि वहां जाट वोटरों में कोई गलत संदेश न जाए। क्योकि महिला पहलवानों के उन पर आरोप लगाने के बाद जाटों के बीच उन्हें लेकर खासी नाराजगी रही है।

प्रियंका गांधी पर कब खत्म होगा सस्पेंस?

तो पिछले कुछ समय से प्रियंका गांधी कांग्रेस के अंदर उतनी सक्रिय नहीं दिख रही हैं। जैसे कि पहले दिखा करती थीं।  कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में चुनाव प्रचार की फ्रंट लाइन संभालने के बाद वह अचानक रहस्यमय तरीके से परदे के पीछे चली गईं। इस आम चुनाव में भी उनकी भागीदारी सीमित ही दिख रही है। लेकिन यह तूफान के पहले की शांति बताई जा रही है। पार्टी के अंदर एक वर्ग दावा कर रहा है कि प्रियंका गांधी लॉन्ग टर्म प्लानिंग कर रही हैं। प्रियंका और उनकी टीम आम चुनाव के बाद बड़ी भूमिका में आ सकती है। पार्टी के अंदर संगठन के स्तर पर बड़ा बदलाव हो सकता है और इसकी पूरी कमान प्रियंका को मिल सकती है। लेकिन अगर ऐसा होता है तो उनके साथ कुछ चौंकाने वाले नाम भी जुड़ सकते हैं।  इस वक्त ये कहा जा रहा है कि एक चुनावी रणनीतिकार भी ऐसी सूरत में कांग्रेस से जुड़ सकते हैं, जिनकी कांग्रेस में एंट्री होते-होते रह गई थी। लेकिन ऐसा होगा या नहीं ये तो आगे आने वाला वक्त ही बता पाएगा। खैर ये तो बात हुई कांग्रेस की लेकिन इस वक्त

बीजेपी में भी सस्पेंस

दरअसल, आम चुनाव की व्यस्तता के बीच भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय कार्यक्रम के अनुसार हर हफ्ते कैबिनेट मीटिंग ले रहे हैं। इसमें वह चल रहे कामों की समीक्षा कर रहे हैं और जरूरी दिशा-निर्देश दे रहे हैं। पीएम मोदी पहले ही मंत्रियों से कह चुके हैं कि चुनाव के कारण कामकाज नहीं रुकना चाहिए। लेकिन, इस मीटिंग में तमाम मंत्री प्रधानमंत्री से मिले संकेतों को भी समझने की कोशिश कर रहे हैं। मंत्री इस बात को जानने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर तीसरी बार BJP सत्ता में आई, तो क्या इस बार उनके लिए जगह बनेगी या नहीं। जिसको लेकर भी सस्पेंस बरकरार है। फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस में कई और भी सस्पेंस है।

कशमकश में NDA  और I.N.D.I.A गठबंधन

दरअसल, इस वक्त महाराष्ट्र में आम चुनाव में दोनों पक्षों के अंदर विरोधाभास और दुविधा साफ देखी जा रही है। पिछले दिनों सत्तारूढ़ NDA और विपक्षी महाविकास अघाड़ी, दोनों के अंदर सीटों पर समझौते को लेकर खासी उठापटक देखने को मिली। वहां स्पष्ट और सरल तरीके से सीटों का बंटवारा ही नहीं हो पाया। दोनों पक्षों ने सीट शेयरिंग को लेकर औपचारिक ऐलान भी नहीं किया। स्थानीय नेताओं के मुताबिक, बात सिर्फ लोकसभा चुनाव की नहीं है। दरअसल, महाराष्ट्र में आम चुनाव के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो जाती है। ऐसे में कांग्रेस और BJP को छोड़कर बाकी दल आम चुनाव से कहीं ज्यादा विधानसभा चुनाव को लेकर चिंतित हैं। NDA में चाहे शिंदे सेना हो या अजित पवार की NCP या फिर महाविकास अघाड़ी में उद्धव सेना हो या फिर शरद पवार की NCP, इन सभी दलों के लिए विधानसभा चुनाव उनके अस्तित्व की असली लड़ाई मानी जा रही है। इसलिए वो इस आम चुनाव में भी विधानसभा चुनावों की तैयारी करते दिख रहे हैं। साथ ही, सभी दल मान रहे हैं कि आम चुनाव के परिणाम उनके दल की आगे की योजना को भी प्रभावित कर सकते हैं। यही कशमकश BJP और कांग्रेस दोनों को चिंता में डाल रही है। इतना ही नहीं कई और राज्यों में भी ऐसी कशमकश और सस्पेंस है।

बिहार में सस्पेंस

दरअसल, बिहार में मुकेश सहनी और पशुपति कुमार पारस शुरू में गठबंधन की गाड़ी में चढ़ने से वंचित रह गए। सहनी NDA और महागठबंधन दोनों से बारगेन करते रहे तो पारस को NDA ने चिराग पासवान के सामने किनारे कर दिया। लेकिन, आखिरकार मुकेश सहनी की लॉटरी लगी और उन्हें महागठबंधन में तीन सीटें मिल गईं। इससे वह मुख्यधारा में आ गए,,, लेकिन पारस अभी भी खाली हाथ रह गए। उन्हें गठबंधन में भी जगह नहीं मिली। जिससे उन्होंने NDA को एकतरफा समर्थन देने की घोषणा कर दी। उनका दावा है कि चुनाव के बाद उन्हें उनका हक मिलेगा।

खैर ऐसा माना जा रहा है कि पारस अब अपने लिए राज्यपाल का पद चाहते हैं, जबकि उनके अन्य सहयोगी BJP में शामिल होने का इरादा रखते हैं। BJP की पहली मंशा थी कि चाचा पारस अपने भतीजे चिराग से समझौता कर लें। लेकिन, चिराग ने ऐसे प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद हालांकि BJP ने पारस से कोई ठोस वादा नहीं किया है, लेकिन उनके सामने उम्मीद रखकर बैठने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है और ऐसे में पशुपति कुमार पारस को आगे बीजेपी क्या कोई बड़ा पद देगी इस पर अभी सस्पेंस ही बना हुआ है।


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