Israel Iran War: रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के बाद अब दुनिया में इजरायल-ईरान युद्ध का खतरा मंडराने लगा है। एक अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास परिसर पर कथित इजरायली हवाई हमले से बौखलाए ईरान ने 13 अप्रैल की रात इजरायल पर करीब 200 मिसाइलें और ड्रोन दाग दिए। इससे गुस्साए इजरायल ने अब ईरान से बदला लेने की कसम खाई है। दोनों देशों की दुश्मनी कई दशक पुरानी है।
एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं ईरान और इजरायल
दरअसल, ईरान और इजरायल मिडिल ईस्ट में एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं। दोनों के बीच जमीन, वायु, समुद्र और साइबरस्पेस में सीक्रेट हमलों का लंबा इतिहास रहा है, लेकिन दोनों में से किसी ने भी खुलकर इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 1979 में ईरान के पश्चिम समर्थक नेता मोहम्मद रजा शाह इजरायल को अपना सहयोगी मानते थे, लेकिन उनके सत्ता से बाहर होते ही इजरायल को ईरान अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानने लगा।
1983 में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने लेबनान में किया आत्मघाती हमला
इजरायल ने जब 1982 में लेबनान पर हमला किया तो ईरान ने हिजबुल्लाह का गठन करने के लिए वहां के शिया मुसलमानों के साथ किया। उसने इजरायल की सीमा पर सबसे खतरनाक संगठन की स्थापना की। इसके बाद 1983 में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने लेबनान से इजरायल और पश्चिमी देशों की सेना को खदेड़ने के लिए आत्मघाती बम विस्फोटों का इस्तेमाल किया। नवंबर में इजरायली सेना के मुख्यालय में विस्फोटकों से भरी एक कार घुस गई थी, जिसके बाद लेबनान के अधिकांश हिस्सों से इजरायल हट गया था।
अर्जेंटीना और इजरायल ने ईरान पर लगाए आरोप
ईरान और इजरायल के बीच दुश्मनी लगातार जारी रही। इजरायल और अर्जेंटीना ने 1992 में ब्यूनस ऑयर्स में इजरायली दूतावास और 1994 में एक यहूदी सेंटर पर आत्मघाती बस विस्फोटों के पीछे ईरान और हिजबुल्लाह का हाथ होने का आरोप लगाया। इन हमलों में कई लोग मारे गए थे। हालांकि, ईरान और हिजबुल्लाह ने इन हमलों के पीछे अपना हाथ होने से इनकार कर दिया।
हिजबुल्लाह को कुचलने में नाकामयाब रहा इजरायल
इजरायल ने साल 2006 में लेबनान में एक महीने तक हिजबुल्लाह से लड़ाई की, लेकिन वह उन्हें कुचलने में कामयाब नहीं हो पाया। इसके बाद 2009 में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने एक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने इजरायल को खतरनाक और घातक कैंसर बताया।
इजरायल ने ईरान पर किया साइबर हमला
अमेरिका और इजरायल ने 2010 में स्टक्सनेट नाम का घातक कम्प्यूटर वायरस बनाया, जिसका उपयोग ईरान के नटान्ज परमाणु स्थल पर यूरेनियम संवर्धन केंद्र पर हमला करने के लिए किया गया। बताया जाता है कि यह हमला किसी देश पर पहला साइबर हमला था। इसके बाद, 2012 में ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मुस्तफा अहमदी रोशन की तेहरान में एक बम विस्फोट में मौत हो गई। बताया जाता है कि उनकी कार में एक बाइक चालक ने बम लगा दिया था। ईरान ने इसके पीछे इजरायल का हाथ होने का आरोप लगाया था।
अमेरिका ने ईरान के साथ तोड़ा परमाणु समझौता
जब 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु समझौते से पीछे हटने का फैसला किया तो इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसकी सराहना की थी। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया था। इजरायल इस समझौते के खिलाफ लंबे समय से पैरवी कर रहा था।
इजरायल ने ईरान के सैन्य बुनियादी ढांचे पर किया हमला
इजरायल ने इसी साल मई में कहा कि उसने सीरिया में ईरान के सैन्य बुनियादी ढांचे पर हमला किया है। यहां चल रहे गृहयुद्ध में ईरान ने राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन कर रहा था। इस दौरान ईरानी बलों ने गोलान हाइट्स पर रॉकेट दागे थे, जो इजरायल के कब्जे में थे।
इजरायल ने जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या का किया स्वागत
ईरान और इजरायल के बीच हमलों का सिलसिला जारी रहा। साल 2020 में इजरायल ने इराक की राजधानी बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की विदेशी शाखा के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या का स्वागत किया था। इस पर ईरान ने अमेरिकी सैनिकों वाले इराकी ठिकानों पर मिसाइल हमला किया, जिसमें लगभग 100 अमेरिकी सैनिक घायल हो गए।
ईरान ने इजरायल पर लगाए आरोप
साल 2021 में ईरान ने मोहसिन फखरी जादेह की हत्या के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया। उन्हें पश्चिमी खुफिया सेवाओं ने परमाणु हथियार क्षमता विकसित करने के लिए एक गुप्त ईरानी कार्यक्रम का मास्टरमाइंड करार दिया था। इसके एक साल बाद 2022 में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायली प्रधानमंत्री यायर लैपिड के साथ ईरान को परमाणु हथियार लेने से रोकने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इजरायली हमले में ईरान के 7 अधिकारियों की मौत
अब बात मौजूदा समय की करते हैं। दमिश्क स्थित ईरानी दूतावास परिसर में संदिग्ध इजरायली हमले में दो वरिष्ठ कमांडरों समेत इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के 7 अधिकारियों की मौत हो गई। इस हमले पर इजरायल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। ऐसे में ईरान ने 13 अप्रैल को इजरायली क्षेत्र पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर दिया। इसमें से 99 फीसदी ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया गया।