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‘जनसंख्या जिहाद’ पर साधु-संतों ने जताई चिंता, सरकार से की यह बड़ी मांग

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Population Jihad: अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा जारी एक रिपोर्ट में हिंदुओं की जनसंख्या को घटते हुए दिखाया गया है। इस रिपोर्ट के बाद देश में एक नई बहस छिड़ गई है। धर्मनगरी हरिद्वार के साधु-संतों ने भी घटती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त की और सरकार से जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने और समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की।

‘जनसंख्या नियंत्रण कानून और समान नागरिक संहिता लागू करे सरकार’

गौरतलब है कि हरिद्वार के अखंड परमधाम आश्रम में युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरी के 67 वें संन्यास दिवस पर आयोजित संत सम्मेलन में कई साधु-संतों ने शिरकत की थी। इस दौरान देश में हिंदुओं की घटती और मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या पर भी चर्चा की गई। साधु-संतों ने देश हिंदुओं की घटती जनसंख्या को घातक संकेत बताया और कहा कि हिंदुओं को इस पर विचार करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से जनसंख्या नियंत्रण कानून और समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की है।

‘जनसंख्या जिहाद’ को नहीं रोका गया तो देश में होगा गृह युद्ध: संत

हिंदुओं की घटती जनसंख्या को लेकर संतों का कहना है कि यह एक पूर्ण नियोजित साजिश के तहत किया जा रहा है। यह ‘जनसंख्या जिहाद’ है और इसे रोका नहीं गया तो देश में गृह युद्ध की संभावना है। अगर यही हालात रहे तो 50 साल के बाद बॉर्डर पर देश की सुरक्षा करने के लिए सैनिक नहीं मिलेगा। देश पर ये लोग कब्जा करके गुलाम बना लेंगे। इसका हल कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून और समान नागरिक संहिता को लागू किया जाना है।

‘हिंदुओं को अधिक बच्चे पैदा करना चाहिए’

संतों ने कहा कि भारत के नागरिक का एक रजिस्टर बनाये जाने की आवश्यकता है और जो भारत का नागरिक नहीं है, उसे भारत से बाहर भेजने की जरूरत है। साथ ही, हिंदुओं को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए। कम से कम ‘हम दो, हमारे दो’ को अपनाना चाहिए। हिंदू अधिक से अधिक बच्चे पैदा करें, जो उनको अच्छा लगे, उसे वे अपने पास रख लें। बाकी संतों को दे दें। संत उनका पालन पोषण कर लेंगे।

‘देश में डेमोक्रेटिक चेंज आ रहा है’

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और अखंड परमधाम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर परमहंस परमानंद महाराज का कहना है कि देश में डेमोक्रेटिक चेंज आ रहा है। यह सब को पता ही है। अभी मैं आबूधाबी और दुबई गया था। वहां उनकी संख्या बहुत कम है। अन्य देशों के लोग बहुत हैं। उसमें हिंदू हैं, साउथ के भी है, सिंधी भी हैं, गुजराती भी हैं, पर उन्हें कोई खतरा नहीं है,क्योंकि वहां कोई चुनाव नहीं होता है। जहां चुनाव होता है, वहां संख्या का ध्यान देना ही होगा।

‘जिनकी संख्या ज्यादा होगी, उसी का राज्य होगा’

परमानंद महाराज ने कहा कि जिनकी संख्या ज्यादा होगी, उसी का राज्य होगा और जिनकी सोच मजहबी है, उनका बढ़ना देश के लिए अच्छा नहीं है। इसका समाधान समान नागरिक संहिता है। यूसीसी को उत्तराखंड में लागू किया गया है। अमेरिका में जगह ज्यादा है, लेकिन जनसंख्या कम है। इसीलिए कई समस्याएं वहां पर नहीं हैं। जनसंख्या किसी की भी बढ़ना अच्छी बात नहीं है।

‘हिंदुओं को अब जागना पड़ेगा’

महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद का कहना है कि साधु संतों ने इस पर चिंता व्यक्त की है कि हम लोगों को इससे सावधान रहना पड़ेगा। हिंदुओं को अब जागना पड़ेगा। हिंदू लोग भी अपनी जनसंख्या को मेंटेन करें और खासतौर से वोट दें, जिससे हमारे राष्ट्रीय के काम हो सकें।

‘बच्चों को हम पाल लेंगे’

महामंडलेश्वर स्वामी ज्योतिर्मयानंद ने कहा कि हमने एक बच्ची को गोद लिया है। ऐसा करके हमने समाज को यह दिखाया है कि हम साधु होकर भी बच्चे पालते हैं, आप जन्म देकर क्यों घबराते हैं। यदि आपको लगता है कि तुम्हारी जिंदगी अधिक बच्चों से परेशान होगी तो आप अधिक बच्चे हमें दे दो। आप कम से कम दो-तीन बच्चे पैदा करो। जो आपको अच्छा लगे, वह अपने पास रख लो, बाकी के बच्चे हमें दे दो। हम पाल लेंगे। तुम बच्चे पैदा करते रहोगे तो तुम राष्ट्र में गौरव से जी सकोगे।

‘कम से कम दो बच्चे तो होने ही चाहिए’

स्वामी ज्योतिर्मयानंद ने कहा कि यदि तुमने बच्चे पैदा करना बंद कर दिया तो आने वाले 50 साल में सीमाओं पर सैनिक नहीं होंगे। भारत के दुश्मन आराम से सीमाओं में घुसकर तुम्हारे देश पर प्रहार करेंगे और तुम्हें गुलाम बना लेंगे। अगले 50 सालों में आज के सैनिक रिटायर होंगे तो उसके बाद किसका बच्चा होगा, जो सैनिक बनेगा। सारे साधु मर जाएंगे तो किसका बच्चा साधु बनेगा, कौन हमें धर्म से जोड़ेगा और कौन हमें सीमाओं की रक्षा में लगाएगा। इसलिए जरूरी है कि कम से कम दो बच्चे तो होने ही चाहिए।

‘मैं बच्चों का पालन पोषण करुंगा’

स्वामी ज्योतिर्मयानंद ने कहा कि भगवान ने तुम्हें पैदा करते हुए दो आंखें दी है। एक आंख देते, एक कान दे देते, एक फेफड़ा दे देते, एक किडनी दे देते, दो क्यों दी? क्योंकि अगर एक कभी न कभी एक्सीडेंटली खराब हो सकती है तो दूसरी से तुम जी सको। इसीलिए एक संतान अच्छी नहीं है। जैसे एक आंख का आदमी अच्छा नहीं है। ऐसे ही एक संतान का होना अच्छा नहीं है। एक से अधिक जितनी भी संतानें कर सकते हो, करो और जो न पल पाए, वह अखंड परमधाम में मुझे समर्पित करो। मैं उन बच्चों का पालन पोषण करुंगा।


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