Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में अवमानना याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। साथ ही पतंजलि को हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। हलफनामे में कंपनी को यह बताना है कि उसने भ्रामक विज्ञापनों और उनसे जुड़ी दवाओं को वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए हैं। इस मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी गई है।
भ्रामक विज्ञापन के लिए सेलिब्रिटी भी जिम्मेदार
7 मई को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान पीठ ने कहा कि अगर लोगों को बेची जा रही किसी सर्विस या प्रोडक्ट का विज्ञापन भ्रामक है तो इसके लिए विज्ञापन से जुड़े सेलिब्रिटीज और मीडिया इंफ्लुएंसर्स को भी जिम्मेदार ठहराया जाए।
वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ हुआ दुष्प्रचार
याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ दुष्प्रचार किया। पतंजलि की ओर से कहा गया कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, लेकिन इसका कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। आपको बता दें, कोर्ट के आदेश बावजूद कंपनी की ओर से प्रिंट मीडिया में भ्रामक विज्ञापन छपवाए गए।
नोटिस का नहीं दिया था जवाब
3 जनवरी 2024 को बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया गया था। हालांकि, नोटिस जारी होने के बावजूद बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। इस पर कोर्ट ने दोनों को सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया, जिस पर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की ओर से माफीनामा जारी किया गया था, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।