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Lok Sabha Session 2024: अखिलेश-डिंपल मौजूदा संसद में बैठने वाला इकलौता सांसद जोड़ा

18वीं लोकसभा में समाजवादी पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव एक साथ निर्वाचित होने वाले एकमात्र सांसद जोड़ा हैं।
Akhilesh-Dimple | Lok Sabha Session 2024 | uttar Pradesh | Shreshth uttar pradesh |

18वीं लोकसभा में समाजवादी पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव एक साथ निर्वाचित होने वाले एकमात्र सांसद जोड़ा हैं। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने कन्नौज सीट से बीजेपी के सुब्रत पाठक को 1.7 लाख से ज्यादा वोटों से हराया है, जबकि उनकी पत्नी डिंपल ने मैनपुरी में बीजेपी के जयवीर सिंह के खिलाफ 2.21 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है।

अखिलेश ने पहले चार लोकसभा चुनाव जीते थे और 2024 के आम चुनाव में उनकी जीत उन्हें पांच बार का विजेता बनाती है। वहीं, उनकी पत्नी डिंपल यादव भी अब तक चार बार लोकसभा चुनाव जीत कर संसद तक पहुंच चुकी हैं। इस तरह से ये सांसद कपल देश की 18वीं लोकसभा में पहुंचने वाला इकलौता जोड़ा है। इन दिनों लगातर एक दूसरे के बयानों पर मुस्कुराते भी देखे जा रहे हैं। हालांकि ये कपल पहले कभी एक समय पर संसद के निचले सदन के लिए नहीं चुना गया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि संसद तक पहुचने वाला ये इकलौता कपल है। पहले भी कई बार किसी परिवार के एक से ज्यादा सदस्य एक साथ लोकसभा में सांसद बनकर पहुंचे हैं। देश ने काफी कम मौकों पर ही संसद के निचले सदन के लिए पति और पत्नी के जोड़े को देखा है। आज ऐसे ही कुछ और कपल्स के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं…

एके गोपालन और सुशीला गोपालन

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के संस्थापक सदस्यों में से एक एके गोपालन 1952 से 1971 तक पांच बार सांसद रहे थे। वे एक स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिन्होंने 1927 में कांग्रेस पार्टी के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। गोपालन ने अपनी पहली पत्नी को छोड़ दिया था और बाद में एक फेमस मार्क्सवादी और ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुशीला से शादी की थी, जिन्होंने तीन लोकसभा चुनाव भी जीते। इस कपल ने 1967 से 1970 के बीच एक साथ लोकसभा सांसद के रूप में काम किया था।

सत्येन्द्र नारायण सिन्हा एंड किशोरी सिन्हा

बिहार की औरंगाबाद सीट से 1952, 1957, 1971, 1977, 1980 और 1984 का लोकसभा चुनाव जीतने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा एक धनी परिवार से थे। उन्हें भी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए जाना जाता है। 1989 में बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभालने से पहले वो और उनकी पत्नी किशोरी सिन्हा 1980 से लोकसभा सांसद थे। किशोरी ने 1980-1989 के बीच दो बार वैशाली सीट का प्रतिनिधित्व किया। तो वहीं उनके बेटे निखिल कुमार एक पूर्व IPS अधिकारी से नेता बने हैं। निखिल ने नागालैंड में 2009-2013 तक और केरल में 2013-2014 तक राज्यपाल के रूप में काम किया है।

चौधरी चरण सिंह और गायत्री देवी

भारत के पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह और उनकी पत्नी गायत्री देवी ने 1980 से 1984 तक लोकसभा में एक साथ काम किया है। उनके बेटे अजीत सिंह ने 1996 में राष्ट्रीय लोक दल यानी RLD की स्थापना की और UPA और NDA दोनों सरकारों में केंद्रीय मंत्री के रूप में काम किया और आज चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी मौजूदा NDA सरकार में कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री हैं।

मधु और प्रमिला दंडवते

भारत के रेल और वित्त मंत्री रह चुके प्रोफेसर मधु दंडवते पांच बार सांसद रहे हैं। 1980 में वो और उनकी पत्नी प्रमिला दंडवते, जनता पार्टी के टिकट पर पहले महाराष्ट्र के राजापुर और फिर बॉम्बे उत्तर मध्य निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए।

पप्पू यादव और रंजीत रंजन

बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने हाल ही में छठी बार सांसद पद की शपथ ली है। वह और उनकी पत्नी रंजीत रंजन 2004-2009 और 2014-2019 के बीच संसद के निचले सदन के सदस्य थे। 2004 में पप्पू यादव ने RJD के टिकट पर मधेपुरा से जीत हासिल की थी, जबकि रंजीत रंजन ने LJP के टिकट पर सहरसा से जीत हासिल की थी। 2014 में पप्पू यादव मधेपुरा से फिर से चुने गए, जबकि रंजीत रंजन ने कांग्रेस के टिकट पर सुपौल लोकसभा सीट जीती थीं। इस तरह ये कपल दो बार एक साथ संसद तक पहुंचा।

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