इस समय गर्मी अपने चरम पर है सुबह दिन निकलते ही सूरज की तपिश महसूस होने लगती है जो देर शाम तक जारी रहती है. इस उमस भरी गर्मी से मॉनसून ही राहत दे सकता है लेकिन इस बार मॉनसून भी दो तारीफों में फंस गया है.
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार इस बार मॉनसून 4 जून को केरल पहुंचेगा इसमें चार दिन आगे पीछे होने की संभावना है. मॉनसून केरल में सामान्यत: 1 जून को पहुंचता है तो इस बार ये तीन दिन देरी से पहुंच रहा है. वहीं स्काईमेट के अनुसार मॉनसून 7 जून को केरल पहुंच सकता है. इसमें भी तीन दिन आगे पीछे हो सकता है. आपको बताते चले स्काईमेट एक प्राइवेट मौसम एजेंसी है. स्काईमेट के अनुसार एक शक्तिशाली चक्रवात इस समय भूमध्यरेखीय अक्षांश और दक्षिणी प्रायद्वीप में दक्षिण हिंद महासागर के ऊपर बढ़ रहा है जिसे साफ होने में 7 दिन लग सकते है इसी वजह से मॉनसून का बहाव रूक रहा है.
पिछले पांच सालों में मॉनसून के केरल में पहुंचने की बात करे तो 2018 में 29 मई को 2019 में मॉनसून सबसे देर में 8 जून को, 2020 में मॉनसून 1 जून को, 2021 को 3 मई को और 2022 को 2018 की तरह 29 मई को मॉनसून केरल पहुंचा था.
भारतीय मौसम विभाग की केरल मॉनसून पहुंचने की भविष्यवाणी पिछले 18 सालो में केवल एक बार ही 2015 में गलत साबित हुई थी. भारतीय मौसम विभाग की माने तो 3 जून के आस पास से इस गर्म मौसम से राहत मिलने की उम्मीद है.
वैसे मॉनसून चाहे 3 जून में पहुंचे या 7 जून को पहुंचे, सभी को इस मॉनसून का बेसब्री से इंतजार है क्योंकि हर कोई इस भीषण गर्मी से निजात पाना चाह रहा है. गर्मी पूरे देश में हो रही है लेकिन उत्तर भारत में तो गर्मी कहर ही बरपा रही है. दिल्ली एनसीआर में तो गर्मी के कहर से काफी परेशानी हो रही है. दिल्ली एनसीआर में कामगार तबका अधिक संख्या में है जो रोज सुबह काम पर जाता है लेकिन ऐसी गर्मी में सुबह सुबह निकलने से डिहाइड्रेशन की समस्या, गर्मी लगने की समस्या, लू लगने की समस्या बहुत हो रही है. जो लोग ऐसी में रहते है उनके लिए तो ये गर्मी बहुत ही घातक साबित हो रही है क्योंकि ऐसी से बाहर निकलने के बाद उनका शरीर तापमान में हुए इस बड़े बदलाव को सहन नहीं कर पाता, ऐसे लोग बहुत ही बड़ी तादाद में बीमार पड़ रहे है. आप घर से ऑफिस के लिए निकले और ऐसी गर्मी में ऑफिस पहुंचते पहुंचते आधी जान तो निकल ही जाती है. मॉनसून के जल्दी आने से इस भीषण गर्मी से राहत मिलने की पूरी उम्मीद है. इस साल कई बार बेमौसम की बरसात भी हुई है इस बेमौसम की बरसात से लोगों को समय समय पर गर्मी से राहत तो मिली है लेकिन फसलों को बहुत ही नुकसान हुआ है इस बेमौसम की बरसात से खेतों में खड़ी हुई फसल भी बर्बाद हुई है ये कह सकते है कि इस बेमौसम बरसात से शहरी लोगों को कुछ फायदा हुआ है लेकिन ग्रामीण लोगों को बहुत ही नुकसान हुआ है. ग्लोबल वार्मिग को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है.