भारत में बाघों में बहार आ गई है. पहले अफ्रीकी कंट्री से लाए गए चीतों ने भारत को खुशी दी अब बारी थी बिल्ली प्रजाति के एक और नस्ल बाघ की.भारत में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 2018 में जहां भारत में 2967 बाघ थे जो 2022 में बढ़कर 3167 हो गए. यानी पिछले चार सालों में 200 बाघ भारत में बढ़ गए. ये आकंड़े देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने 1973 में लॉन्च हुए “ प्रोजेक्ट टाइगर ” के 50 साल पूरा होने पर जारी किए गए. आपको ये भी बताते चले कि दुनिया भर के बाघों में अधिकांश बाघ भारत में ही पाए जाते हैं. बात करे अगर प्रतिशत के आधार पर तो भारत में दुनिया के 75 प्रतिशत से ज्यादा बाघ पाए जाते हैं. भारत मे बाघ अभयारण्य 75,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.
देश के पीएम मोदी प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर कर्नाटक के बांदीपुर और मुदुमलाई टाइगर रिजर्व पहुंचे और पीएम ने वहां 20 किलोमीटर लंबी जीप सफारी भी की. सरकार ने जो रिपोर्ट जारी की है उसके अनुसार शिवालिक पर्वतों-गंगा के मैदानी इलाकों, मध्य भारत और सुंदरवन में बाघों की संख्या बढ़ी है, वहीं पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर-ब्रह्म्पुत्र के मैदानी इलाकों मे इनकी संख्या घटी है. अभी कुछ दिन पहले भारत में कूनो नेशनल पार्क से लाए गए चीतों ने भी भारत को खुशखबरी दी थी तब नामीबीया से लाए गए एक मादा चीता ने एक साथ चार चीतों को जन्म दिया था. और अब भारत तो खुशखबरी देने की बारी बाघों की थी. बाघों की संख्या का पिछले चार सालों में 200 बढ़ना एक बहुत बड़ी बात है. बिल्ली प्रजाति में बाघ ही सबसे ज्यादा ताकतवर होते हैं. इनके सामने जंगल का राजा शेर भी ढेर ही होता है.