कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई होगी। यह सुनवाई दिल्ली की सत्र अदालत में होगी। इस मामले में ईडी ने समन पर हाजिर न होने के लिए केजरीवाल के खिलाफ निचली अदालत में दो शिकायतें दर्ज की थी। इन शिकायतों के आधार पर निचली अदालत ने केजरीवाल को दो समन जारी किए थे। दिल्ली सीएम ने सत्र अदालत के इन समनों को चुनौती दी है। मजिस्ट्रेट अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 17 फरवरी को तलब किए जाने के पहले आदेश के मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश दयाल ने बृहस्पतिवार को केजरीवाल और ईडी की दलीलें सुनी। निचली अदालत के यह आदेश 7 फरवरी को जारी किए गए थे इसके बाद सत्र न्यायाधीश के 7 मार्च के दूसरे आदेश के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। इस आदेश के तहत अरविंद केजरीवाल को 16 मार्च को तलब किया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 190 (1)(ए) आर/डब्ल्यू, धारा 200 सीआरपीसी, 1973 आर/डब्ल्यू, धारा 174 आईपीसी, 1860 आर/डब्ल्यू धारा 63 (4) पीएमएलए के तहत दूसरी शिकायत दर्ज की गई है। अरविंद केजरीवाल ने अदालत को कारण बताते हुए कहा कि वह अदालत की कार्यवाही में शामिल होना चाहते थे। लेकिन, विश्वास मत और बजट सत्र के कारण वह अदालत के समक्ष पेश नहीं हो सके।
दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ईडी का समन पूरी तरह से अवैध है। सीएम को लगा कि बीजेपी नेता और प्रवक्ता बार-बार उन पर ईडी के सवालों का जवाब न देने का आरोप लगा रहे हैं। हमारी हमेशा से राय थी कि यह सवालों के जवाब देने के बारे में नहीं था। ईडी के इरादे अरविंद केजरीवाल को अवैध रूप से गिरफ्तार करने के थे। इसलिए अरविंद केजरीवाल ने बीच का रास्ता निकाला और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ के लिए पेश होने का फैसला किया।