आज आपको बताएंगे एक कुंडली के एक ऐसे दोष के बारे में जिसके बारे में सुनकर हर कोई डर, सहम जाता है.
कुंडली में कई तरह के योग होते है. कालसर्प भी एक ऐसा ही योग है हालांकि ये एक योग से ज्यादा दोष ज्यादा माना जाता है. कहा जाता है कि जिन जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उनकी जिंदगी में संघर्ष अन्य लोगों की तुलना में अधिक होता है.
आप जानते ही है कि किसी भी कुंडली में 12 घर होते है हर घर में अलग अलग तरह की 12 राशियां होती है. कुंडली में राहु और केतु नामक दो ग्रह भी होते है ये दोनों ग्रह एक दूसरे से 180 डिग्री पर होते है यानी एक दुसरे के बिल्कुल आमने सामने. अगर राहु दूसरे घर में है तो केतु उसके ठीक सामने आठवें घर में ही होगा और अगर राहु तीसरे घर में हो तो केतु कुंडली के धर्म भाव यानी नौवें घर में ही होगा.
कालसर्प के निर्माण के लिए राहु और केतु को ही पूरी तरह से जिम्मेदार माना जाता है.
यदि राहु और केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाए तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है लेकिन अगर कालसर्प योग बन रहा है लेकिन जातक कि कुंडली में एक भी ग्रह उच्च का हो या फिर अपनी राशि वाले घर में हो तो कालसर्प दोष भंग माना जाता है.
देखा गया है कि ऐसे जातकों का जीवन बहुत ही संघर्षमय होता है. कालसर्प योग भी राहु केतु के अलग अलग घर में होने के साथ अलग अलग फल देता है लेकिन इस दोष में अधिकतर इसके फल नकारात्मक ही होते हैं. बात करें कालसर्प दोष से बचने या इसके नकारात्मक प्रभाव को कम करने के उपाय तो शिव जी पूजा विशेषरूप से शिवलिंग की पूजा इसके लिए विशेष फलदायी होती है.
उज्जैन के शिव मंदिर में इसकी शांति होती है जिसकी मान्यता भी बहुत है. कालसर्प की पूजा के लिए नाग पंचमी का दिन भी बहुत खास माना जाता है.
कालसर्प के निवारण के लिए चांदी के नाग नागिन के जोड़ों को पूजा करके शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है. कुछ ज्योतिष कालसर्प दोष को मानते भी नहीं हैं, प्राचीन काल की ज्योतिष किताबों में भी इसका वर्णन नहीं मिलता है. देश विदेश में उन लोगों ने भी बहुत नाम कमाया है जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष था.