लोकसभा चुनाव के आगाज़ के साथ नेताओं का दलबदल और वाद विवाद शुरु हो चुके हैं।अभी उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे का बयान कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में ‘एकतरफा’ नीति अपना रही है बयान देकर यूपी की राजनीति में ठंड में अलाव जलाने का काम किया है। सपा पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने पलटवार किया और एक बयान दे डाला जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य में गठबंधन होगा और सीटों का आवंटन ‘उचित’ तरीके से किया जाएगा।
समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 16 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुकी है। सपा ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 11 सीटें देने की पेशकश की है। कांग्रेस और सपा दोनों ही भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) के सदस्य हैं, जो भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र को टक्कर देने के लिए बनाया गया है।
अखिलेश यादव ने मैनपुरी में कहा कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन होगा और सीटों का आवंटन ठीक से किया जाएगा। हम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राज्य से बाहर फेंकने की कोशिश करेंगे। समाजवादी पार्टी का मानना है कि जो उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला कर सकता है, उसे टिकट मिलेगा। हम किसी विशेष उम्मीदवार के प्रति इच्छुक नहीं हैं। भाजपा को हराने के प्रयास किए जाएंगे।
इससे पहले आज अविनाश पांडे ने कहा, ”समाजवादी पार्टी गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रही है, सपा गठबंधन में एकतरफा घोषणाएं कर रही है। कल जारी सूची में कई सीटें ऐसी भी थीं जिन पर कांग्रेस पार्टी का दावा था। क्या कहती है समाजवादी पार्टी जो कर रही है वह बहुत खतरनाक है और कांग्रेस को ही इसकी जानकारी नहीं मिल रही है।”
यूपी कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने भी उत्तर प्रदेश में सीट बंटवारे की बात से इनकार किया और दावा किया कि यह सूची उनकी जानकारी के बिना जारी की गई है।
अविनाश पांडे ने कहा, “कांग्रेस गठबंधन धर्म का अच्छे से पालन करती है और जहां भी कांग्रेस ने गठबंधन किया, उसने गठबंधन धर्म का पालन किया।” इस बीच, सपा ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी से, शफीकुर्रहमान बर्क को संभल से और रविदास मेहरोत्रा को लखनऊ से मैदान में उतारा है। अक्षय यादव को फिरोजाबाद से मैदान में उतारा गया है, जबकि बांदा से, सपा ने शिवशकर सिंह पटेल को मैदान में उतारा है।
समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने दिसंबर 2022 में मैनपुरी संसदीय उपचुनाव जीता, उन्होंने भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य को 2,88,461 मतों के अंतर से हराया।
सपा का गढ़ मानी जाने वाली यह सीट पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पास थी और 10 अक्टूबर को उनकी मृत्यु के बाद यह खाली हो गई थी।