आबकारी नीति मामले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मुश्किलों में फंसे सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका का जिक्र किया। सिसोदिया ने SC में शराब घोटाला मामले में अपनी गिरफ्तारी और सीबीआई जांच के तरीके को चुनौती दी है। सिसोदिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। मामले की सुनवाई आज दोपहर 3.30 बजे होगी।
क्या है पूरा मामला ?
दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने सिसोदिया ने 17 नवंबर को एक्साइज पॉलिसी लागू की थी। और एक्साइज पॉलिसी लागू करने को लेकर माफिया राज खत्म करने की भी बात कही थी। जिसको लेकर जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने इस मामले में एलजी बी के सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी और शराब माफियाओं को मुनाफा पहुंचाने समेत सबूत मिटाने को लेकर सिसोदिया पर गंभीर आरोप लगाए गए। रिपोर्ट के मुताबिक CBI ने 17 मार्च 2022 को मामला दर्ज किया था।
इस मामले में CBI ने बताया था कि नई आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के मामले की जांच के लिए उपमुख्यमंत्री और प्रभारी आबकारी मंत्री समेत 14 अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। डिप्टी सीएम को 19 फरवरी 2023 को जांच में सहयोग करने के लिए CRPC की धारा 41-A के तहत नोटिस जारी किया गया था। हालांकि उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए एक सप्ताह का समय मांगा था। उनके अनुरोध पर फिर नोटिस जारी किया गया। हालांकि, इस दौरान उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और जांच में सहयोग नहीं किया। इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
कोर्ट ने क्या कहा ?
कोर्ट में न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि आरोपी इस मामले में पहले दो मौकों पर जांच में शामिल हुए हैं, लेकिन यह भी देखा गया है कि वह जांच और पूछताछ के दौरान किए गए अधिकतर प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि सिसोदिया अब तक की गई जांच के दौरान कथित रूप से उनके खिलाफ पाए गए। आपत्तिजनक सबूतों के आधार पर उचित स्पष्टीकरण देने में विफल रहे हैं। सिसोदिया के कुछ अधीनस्थों ने कुछ तथ्यों का खुलासा किया है। जिन्हें उनके खिलाफ आरोप के रूप में लिया जा सकता है और उनके खिलाफ कुछ दस्तावेजी सबूत भी सामने आ चुके हैं।
न्यायाधीश ने कहा कि ‘‘उचित और निष्पक्ष” जांच के लिए आवश्यक है कि उनसे पूछे गए सवालों के उचित और वैध जवाब मिलें और इसलिए इस अदालत की राय में यह आरोपी की हिरासत में पूछताछ से ही संभव है। तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, आरोपी को आगे और विस्तृत पूछताछ के लिए पांच दिन की अवधि यानी चार मार्च, 2023 तक के लिए CBI की हिरासत में भेजा जाता है।
सिसोदिया के वकील ने रखा पक्ष
सिसोदिया के वकील ने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि CBI उस फैसले की जांच करनी चाहती है, जो चुनी हुई सरकार की कैबिनेट ने किया था। ऐसा नहीं हो सकता। मैं दिल्ली का वित्त मंत्री हूं। आप टाइमिंग देखिये। वित्त मंत्री को आप तब गिरफ्तार कर रहे हैं, जब उनको बजट पेश करना है। पब्लिक सर्वेंट को गिरफ़्तार करने से पहले सक्षम अथॉरिटी से मंजूरी लेनी चाहिए थी।