आज संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक कानून बिल पेश किए जो आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे। गृह मंत्री ने संसद के मानसून सत्र में लोकसभा से पारित तीन विधेयकों को वापस ले लिया। अमित शाह ने लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक कानून विधेयक – भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023′ और भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023- पेश किए।
अमित शाह ने कहा कि बिल वापस ले लिए गए हैं और 3 नए बिल पेश किए गए हैं। क्योंकि इन बिल में कुछ बदलाव किए जाने थे। उन्होंने कहा कि विधेयकों की स्थायी समिति द्वारा जांच की गई थी और आधिकारिक संशोधनों के साथ आने के बजाय, विधेयकों को फिर से लाने का निर्णय लिया गया।
अमित शाह ने कहा कि विधेयकों की जांच स्थायी समिति द्वारा की गई है और सदस्यों के पास उनका अध्ययन करने के लिए समय होगा। उन्होंने कहा कि बहस गुरुवार को होगी और वह शुक्रवार को विधेयकों का जवाब देंगे। तीन विधेयक 1860 के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1973 के आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023, और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 का उद्देश्य क्रमशः आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को प्रतिस्थापित करना है।
पहले के बिल 11 अगस्त को संसद के निचले सदन में पेश किए गए थे और उन्हें स्थायी समिति को भेजा गया था।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सुझाव दिया कि विधेयकों की और जांच की जानी चाहिए।