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पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार, CM नीतीश का एलान

Sharda Sinha Death: बिहार राज्य अपनी प्रिय लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर शोक मना रहा है, जिनका 5 नवंबर की शाम को राष्ट्रीय राजधानी में निधन हो गया।
Sharda Sinha Death

Sharda Sinha Death: बिहार राज्य अपनी प्रिय लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर शोक मना रहा है, जिनका 5 नवंबर की शाम को राष्ट्रीय राजधानी में निधन हो गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित महान गायिका का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

लोक संगीत की मधुर प्रस्तुतियों के लिए “बिहार कोकिला” के रूप में जानी जाने वाली शारदा सिन्हा रक्त कैंसर से जूझ रही थीं, जिसके बाद उन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था और अस्पताल के ऑन्कोलॉजी विभाग में उनका इलाज चल रहा था। उन्होंने छठ पूजा के पहले दिन अंतिम सांस ली, जो उनके प्रतिष्ठित छठ महापर्व गीतों के कारण उनके प्रशंसकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण दिन है।

दिवंगत गायिका का पार्थिव शरीर उनके परिवार की इच्छा के अनुसार आज सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से पटना लाया गया।

छठ गीतों से हुईं मशहूर शारदा सिन्हा ने दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

शारदा सिन्हा के निधन से व्यक्तिगत रूप से आहत भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा, “शारदा सिन्हा का निधन एक अपूरणीय क्षति है। उनके परिवार ने फैसला किया है कि उनका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ बिहार में किया जाएगा। यह मेरे लिए भी एक व्यक्तिगत क्षति है। उन्होंने मेरे घर आने का वादा किया था, लेकिन अब वह वादा अधूरा रह जाएगा। भगवान उनके परिवार और उनसे प्यार करने वाले सभी लोगों को शक्ति प्रदान करें।”

https://twitter.com/ManojTiwariMP/status/1853880387438891445

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी संवेदना व्यक्त की और उन्हें राज्य के सांस्कृतिक इतिहास में एक अपूरणीय व्यक्ति बताया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और अन्य क्षेत्रीय नेताओं सहित अन्य राजनीतिक नेताओं ने भी शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि दी।

शारदा सिन्हा की मृत्यु बिहार की लोक संगीत परंपरा में एक युग का अंत है। 1970 के दशक में शुरू हुआ उनका करियर दशकों तक फैला और इसमें भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत में अनगिनत योगदान शामिल थे। उन्हें विशेष रूप से छठ त्योहार से जुड़े गीतों के गायन के लिए जाना जाता था, जो बिहार का एक प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जिसका संगीत पर्याय बन गया था।

उनकी शक्तिशाली और मधुर आवाज, भूमि और उसकी परंपराओं के साथ उनके गहरे जुड़ाव ने उन्हें न केवल बिहार में बल्कि पूरे भारत में एक प्रिय व्यक्ति बना दिया।

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