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Bada Mangal 2024: लखनऊ में भंडारे की परंपरा कब से शुरू हुई ?

लखनऊ में लोग पूरे साल जेठ का पहला बड़ा मंगल का इंतजार करते हैं। क्योंकि इस अवसर पर शहर में साढ़े तीन हजार भंडारे लगाए जाते हैं। कड़ी धूप हो या आंधी बारिश, बड़े मंगल के भंडारे का प्रसाद लेने वालों का तांता लगा रहता है। इस बार भी बड़ा मंगल के अवसर पर पूरे शहर में भंडारे सज गए हैं।
Bada Mangal 2024 | Lucknow | uttar pradesh | shreshth bharat |

Bada Mangal 2024: जेठ का पहला बड़ा मंगल आज है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह दिन बजरंग बली को समर्पित है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में इस दिन का विशेष महत्व है। आज इस दिन को शहर में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। राम भक्त हनुमान के मंदिर रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहे हैं। भीषण गर्मी, चिलचिलाती धूप में भी बजरंग बली के सभी मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु की भारी भीड़ देखी जा रही है। भक्त दर्शन कर आशीर्वाद लेने के लिए लंबी कतारों में लगे हैं।

बजरंगबली को पहनाया सोने का मुकुट

मिली जानकारी के मुताबिक, जेठ का पहला बड़ा मंगल के अवसर पर मंदिरों में सोमवार रात 12 बजे से ही दर्शन पूजन का सिलसिला शुरू हो गया। हनुमान सेतु मंदिर में रात 12 बजे हनुमान जी की आरती हुई और बड़ी संख्या में भक्तों ने अपने आराध्य देव के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया। वहीं, अलीगंज का नया हनुमान मंदिर में भक्तों रात 12 बजे दंडवत करते भक्तों ने महावीर के दरबार में हाजिरी लगाई। इस बार पूराने अलीगंज के बजरंगबली को 60 लाख रुपए का 50 तोला सोने का मुकुट पहनाया गया है।

लखनऊ में लोग पूरे साल इस शुभ अवसर का इंतजार करते हैं। क्योंकि हर बड़े मंगल पर शहर में साढ़े तीन हजार भंडारे लगाए जाते हैं। कड़ी धूप हो या आंधी बारिश, बड़े मंगल के भंडारे का प्रसाद लेने वालों का तांता लगा रहता है। इस बार भी बड़ा मंगल के अवसर पर पूरे शहर में भंडारे सज गए हैं। जगह-जगह पर विशाल भंडारों का प्रंबध किया गया है। पूड़ी, सब्जी, बूंदी और चावल बनने शुरू हो गए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, अलीगंज हनुमान मंदिर में 2 क्विंटल लड्डू और 2 क्विंटल बूंदी का प्रसाद बांटा जाएगा।

वहीं, विशाल भंडारे के आयोजनों को देखते हुए लखनऊ नगर निगम ने जीरो वेस्ट भंडारे का संकल्प लिया है। नगर निगम के मुताबिक, हर भंडारे का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन कराने से नगर निगम के सफाई कर्मी सुबह ही भंडारे वाले स्थान पर पहुंच जाएंगे और साफ सफाई के साथ ही चूना का छिड़काव करेंगे।

कैसे शुरू हुई थी यह परंपरा ?

इतिहासकारों के मुताबिक, नवाब वाजिद अली शाह ने अलीगंज में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में भंडारे का आयोजन किया था, जिसके बाद से इसकी शुरुआत हुई। इतिहासकारों का कहना है कि नवाब की बेगमों ने ही बड़े मंगल की शुरुआत की थी। नवाब की बेगमें इस मंदिर में बंदरों को चना खिलाया करती थीं। उनकी बजरंगबली के प्रति इतनी श्रद्धा थी कि उस समय बंदरों की हत्या प्रतिबंधित थी। नवाब शाह ने इस मंदिर के शिखर पर जो चांद की आकृति लगवाई थी, वह आज भी मौजूद है। माना जाता है कि नवाब वाजिद अली शाह ने बजरंगबली से इतने ज्यादा प्रभावित थे कि वह प्राचीन हनुमान मंदिर में दर्शन पूजन करने के साथ ही भंडारा भी करते थे। नवाब वाजिद अली शाह ने निशानी के तौर पर वहां चांद लगवाया था।

बता दें, इस बार चार बड़े मंगल पड़ रहे हैं। पहला बड़ा मंगल 28 मई, दूसरा 4 जून, तीसरा 11 जून और आखिरी 18 जून को पड़ेगा।


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